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ये कैसा विद्यालय ?

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ये कैसा विद्यालय ?

ये कैसा विद्यालय ?

  • छात्रों की जगह नजर आ रहा जानवरो का मेला
  • आला अफसर हुए निरुत्तर

जालौन। सरकार ने गांव-गांव में स्कूल खोले ताकि गरीब परिवार के बच्चे भी शिक्षित हो सकें, मगर इतनी बड़ी व्यवस्था के बीच कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षा क मंदिर नही जानवरो का तबेला नजर आएगा । जिन स्कूलों पर बच्चों को शिक्षित कर उनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है, वह तबेला बन गए हैं। एक संविदाकर्मी के भरोसे स्कूल चल रहा है अध्यापक नदारद है विद्यालय में फैली हुई गंदगी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा के प्रति जिले के आलाधिकारी कितना जागरुक हैं। पूरा मामला माधोगढ़ के कुदारी गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय का है।

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जहा विद्यालय कम जानवरो का तबेला ज्यादा नजर आ रहा है जगह जगह गंदगी का अम्बार लगा है बच्चो के गंदगी से गुजरकर क्लासरूम तक जाना पड़ रहा है बरसात के मौसम में जहाँ एक ओर मंकीपाक्स को लेकर WHO ने अलर्ट जारी किया है वही दूसरी ओर विद्यालय की बदरंग तस्वीर ने शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की कार्यशेली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है ग्रामीण गौरव कुमार ने बताया ये स्कूल शिक्षामित्र के भरोसे चल रहा है यहाँ एक महिला अध्यापक तैनात है लेकिन वह महीनेमें एक बार आती है।

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विद्यालयमे तैनात लक्षमण नाम मे छात्रने बताया मजबूरी में यहाँ पढ़ना पड़ रहा यहां कपड़े भी गन्दे हों जाते है वही इस पूरे मामले में जालौन के शिक्षा विभाग से जब हमने जवाब मांगा तो बीएसए जालौन ने चौका देने वाला जवाब दिया उन्होंने कहा बरसात के कारण थोड़ी गंदगी फैल जा रही है एक तरफ स्कूल गंदगी से पटा पड़ा है और दूसरी तरह बीएसए महोदय स्वच्छ विद्यालय पुरुष्कार की बात कहने लगे उन्होंने कहा स्वच्छ स्कूल रखने वाले विद्यालय ,प्रधान और टीचरों का सम्मानित किया है और बच्चो के लिए संचारी रोगों की रोकथाम के लिए टीमें स्कूलों में जाकर दवा वितरण कर रही है।

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