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तालिबान का वहशियाना चेहरा सामने आया,हेरात के पूर्व पुलिस प्रमुख की हत्या की

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तालिबान का वहशियाना चेहरा सामने आया,हेरात के पूर्व पुलिस प्रमुख की हत्या की
तालिबान का वहशियाना चेहरा सामने आया,हेरात के पूर्व पुलिस प्रमुख की हत्या की

कंधार व हेरात में भारतीय दूतावासों पर बोला हमला

काबुल । दो दशकों बाद अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने वाले आतंकवादी संगठन तालिबान ने अपना वहशियाना चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है और एक ताजा घटनाक्रम में हेरात के पूर्व पुलिस प्रमुख को पकड़कर गोलियों से उड़ा दिया है। वहीं तालिबान आतंकियों ने कंधार और ही रात में भारत के वाणिज्य दूतावासों पर हमला बोला है। आतंकी दूतावासों से अहम दस्तावेज एवं कई वाहन भी ले गए हैं। भारत ने इन दूतावासों से पहले ही अपने स्टाफ को हटा दिया था।

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एक वीडियो फुटेज में पूर्व पुलिस प्रमुख के चेहरे पर पट्टियां बांधे और हाथ बांध कर घुटनों के बल बैठे दिखाया गया है और इसके बाद उन पर तालिबानी आतंकवादी गोलियों की बौछार कर उनकी हत्या कर देते हैं। बदघीस प्रांत के पुलिस प्रमुख रहे जनरल हाजी मुल्ला अहाकजई को तालिबान ने तुर्कमेनिस्तान सीमा पर गिरफ्तार किया गया था। उनके क्षेत्र पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वह अपने सिपाहियों के साथ यहां से पलायन कर गए थे और हेरात के समीप आत्मसमर्पण कर दिया था।

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इस वीडियो में दिखाया गया है कि सफेद बालों वाले कमांडर को जमीन पर तालिबानियों ने घुटनों के बल बिठाया था और उनकी आंखों पर एक पट्टी बंधी थी तथा हाथ आगे की और बांधे गए थे। इसके बाद तालिबानी आतंकवादी उन पर गोलियों की बौछारें करते हैं और दम तोड़ने के बाद भी फायरिंग जारी रहती है। तालिबान ने उनकी हत्या पूरे होश हवाश में की है। इस बात से साबित हो गया है कि तालिबान की कथनी और करनी में अंतर है क्योंकि तालिबान ने कहा था कि उनके खिलाफ जो लोग लड़े थे उनके खिलाफ बदले की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन अहाकजई की हत्या के बाद तालिबान के उदार होने के दावे की पोल खुल जाती है।

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अफगानिस्तान का आधिकारिक तौर पर नाम घोषित नहीं किया गया

तालिबान ने अभी तक आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान को ‘ इस्लामिक अफगानिस्तान अमीरात” घोषित नहीं किया लेकिन उसकी ऐसा करने की योजना है। तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने एक साक्षात्कार में यह बात कही है।
नईम ने कहा “ हमने अभी तक ‘इस्लामिक अफगानिस्तान अमीरात’ की स्थापना की घोषणा नहीं की है लेकिन हम कह चुके हैं कि हमारी शुरूआत से यही मंशा रही है।”
प्रवक्ता ने कहा ‘इस्लामिक अमीरात की फौजेें विदेशी सैनिकों के सहयोग से काबुल हवाई अड्डे पर कानून व्यवस्था बनाए हुए हैं।

अफगानिस्तान के प्रांतीय अधिकारी जेल में ,कई लापता

POONCH, AUG 20 (UNI):- Three children from Pakistan-occupied Jammu and Kashmir being sent back home on humanitarian ground by Indian Army at LoC in Poonch on Friday. UNI PHOTO-73U

अफगानिस्तान के लाघमान और गजनी प्रांत के अनेक शीर्ष सरकारी अधिकारियों और पुलिस प्रमुखों को तालिबान के सत्ता में आने के बाद जेल में डाल दिया गया है और अन्य अधिकारी लापता हैं। मीडिया में यह जानकारी दी गई है।
इस बीच तालिबान की शुक्रवार को पहली प्रेस कांफ्रेंस में प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि किसी भी प्रतिद्वंदी के साथ कोई बुरा बर्ताव नहीं किया जाएगा और अफगानिस्तान में आम माफी की घोषणा की गई है।
लेकिन लाघमान के गवर्नर और पुलिस प्रमुख तथा अन्य सरकारी अधिकारियों के परिजनों ने टोलो न्यूज को बताया कि वे तालिबान की हिरासत में हैं और गजनी के पुलिस प्रमुख लापता बताए जा रहे हैं।

जर्मनी पहुंचे 190 अफगानी शरणार्थी

उज्बेकिस्तान एयरलाइंस का एक विमान शुक्रवार को 190 अफगानी शरणार्थियों को लेकर फ्रेंकफर्ट हवाई अड्डे पर उतरा। ताशकंद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।
अफगानिस्तान में स्थिति बिगड़ने के बाद उज्बेकिस्तान ने वहां से निकलने के इच्छुक नागरिकों को बाहर निकालने के लिए मध्यस्थ एयरलाइंस के रूप में अपनी भूमिका निभाई है और शुक्रवार सुबह 190 अफगानी यात्रियों को लेकर उज्बेकिस्तान एयरलाइंस का विमान फ्रेंकफर्ट हवाई अड्डे पर उतरा।
अफगानियों को जर्मनी लेकर जाने वाली यह उज्बेक एयरलाइंस की तीसर उड़ान थी और जर्मनी वहां से अपने नागरिकों तथा अफगानी लोगों को निकाल रहा है।

ब्लिंकन, जयशंकर ने अफगानिस्तान पर चर्चा की

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान पर चर्चा की और इस मुद्दे पर समन्वय जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है। श्री ब्लिंकन ने गुरूवार को ट्वीट कर कहा, “अफगानिस्तान के बारे में आज डॉ. एस जयशंकर के साथ चर्चा हुई। हम समन्वय जारी रखने पर सहमत हुए है।”

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अलग से संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेश मंत्री ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अफगानिस्तान पर चर्चा की और समन्वय जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है।
यह चर्चा दोनों के नेताओं के बीच दो दिन पहले फोन पर हुई बातचीत के बाद हुई।
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद विरोधी मंत्री स्तरीय चर्चा के बाद संवाददाता सम्मेलन में गुरूवार को श्री जयशंकर ने कहा कि भारत अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों और अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है क्योंकि काबुल हवाई अड्डा उनके नियंत्रण में है।

जानिए क्या है चीन के तालिबान प्रेम की पीछे की वजह

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता का स्वागत करने में सबसे ज्यादा तेजी चीन ने दिखाई है। चीन ने न तो अपने किसी राजनयिक को अफगानिस्तान से निकाला और न ही किसी तरह की विरोधी टिप्पणी की। गत महीने अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने के बाद तालिबान का एक प्रतिनिधमंडल चीन पहुंचा था, जहां साझा हितों पर चर्चा होने के अलावा तालिबान ने यह आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होगा। चीनी सरकार और तालिबान के बीच बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं।कुछ ऐसी वजहें हैं जिन पर हम यहां चर्चा कर रहे हैं,यह वजहें जो चीन और तालिबान को करीब ला रही हैं।

  1. चीन के रोड प्रोजेक्ट के लिए तालिबानी साथ जरूरी
    चीन को वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए तालिबान की जरूरत भी पड़ेगी क्योंकि ये रास्ता अफगानिस्तान से होकर ही आगे बढ़ता है। यही कारण है कि चीन ने तालिबान पर दिए अपने बयान में कहा कि इस क्षेत्र में विकास के लिए अफगानिस्तान की नई सरकार की अहम भूमिका होगी।
  2. उइगर मुस्लिमों पर तालिबान चुप्पी का वादा
    तालिबानी नेता मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल ने चीन के विदेशमंत्री वांग यी इन से बीजिंग में मुलाकात की थी। इस दौरान तालिबान ने चीनी विदेश मंत्री से यह वादा किया था कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उइगुर चरमपंथियों के अड्डे के तौर पर नहीं होने देगा। दरअसल, दोनों देशों के बीच करीब 76 किलोमीटर की साझा सीमा है जो उइगर बाहुल्य शिनजियांग प्रांत से लगती है। बरादर वरिष्ठ तालिबानी नेता हैं और माना जा रहा है कि नई सरकार में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी।
  3. चीनी कंपनियों ने पाए अधिकार
    अफगानिस्तान में प्राकृतिक तेल की खाने हैं, जिसकी खुदाई का अधिकार पहले ही चीनी कंपनियां ले चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इस संपदा पर नजर है जो उसे जल्द ही वैश्विक शक्ति बना सकती है। इस आर्थिक लाभ को देखते हुए चीन, तालिबान के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना चाहता है। गौरतलब है कि यूएस जुलाजिकल सर्वे के मुताबिक, दुनिया की दुर्लभ खनिजों वाली जमीन का 35 फीसदी हिस्सा चीन के पास है।
  4. बहुमूल्य खनिजों पर नजर
    अफगानिस्तान में लीथियम और ऐसे दुर्लभ खनिजों का अकूत भंडार है जो बैटरी बनाने के लिए जरूरी है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक, अगले 20 साल में लीथियम के दाम 40 गुना बढ़ेंगे। ये खनिज स्मार्टफोन, टेबलेट और एलईडी के लिए जरूरी होते हैं जिन तक पहुंच होने पर चीन तकनीकी उपकरणों के मामले में महाशक्ति बन सकता है। अमेरिका ने 2010 में अफगानिस्तान में मौजूद सोना, आयरन, कोबाल्ट, कॉपर आदि की कुल कीमत 1000 डॉलर आंकी थी जो अब बढ़कर तीन लाख डॉलर हो गई है।
  5. चीन से दोस्ती तालिबान को देगी पहचान
    चीन ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के लिए भी निवेश मुहैया कराएगा जो युद्ध के दौरान वहां हुआ है। इसके अलावा चीन जैसे बड़े एशियाई देश से मान्यता पाना तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैधता पाने में भी मदद करेगा। तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी यह कहा था कि अगर चीन अफगानिस्तान में निवेश करता है तो तालिबान उसकी सुरक्षा की गारंटी देगा।

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