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विज्ञान की प्रयोगशाला हैं घर की किचिन, बाथरूम

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विज्ञान की प्रयोगशाला हैं घर की किचिन, बाथरूम
विज्ञान की प्रयोगशाला हैं घर की किचिन, बाथरूम
  • जिला समन्वयक ने साझा की विज्ञान यात्रा की बारीकियां
  • विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक हैं मनीष कुमार
  • बच्चों के हर प्रश्न का उत्तर दें अभिभावक व शिक्षक

हिमाचल प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एण्ड एनवायरनमेंट (शिमला) के बैनर तले हिमाचल प्रदेश के जनपद किन्नौर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला से लौटे औरैया जिले जिला विज्ञान क्लब समन्वयक मनीष कुमार ने कहा कि घर की किचन और बाथरूम किसी प्रयोगशाला से कम नहीं हैं।

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राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित मनीष कुमार ने कोरोना महामारी के चलते घरों में रह रहे स्कूली बच्चों में घरेलू सामान जैसे चिमटा, चिमचा, गैस लाइटर, सलाई, आलू, चाकू, आटे की लोई, पानी, बाल्टी, सुई, प्लास्टिक की बोतलों, गुब्बारों, पुराने खिलौनों आदि के उपयोग से विज्ञान के नियमों और सिद्धांतों को खेल-खेल में समझाने के उद्देश्य से साइंस शो किया । उन्होंने कार्यशाला में शिक्षक , शिक्षिकाओं को बताया कि वर्तमान में कोविड-19 की तरह ही सन् 1665 में प्लेग की महामारी फैली थी जिसके चलते दो वर्ष से लंबे लॉकडाउन में आपदा को अवसर में बदलते हुए न्यूटन, अपनी 23 वर्ष की अवस्था में गति के नियमों, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, कैलकुलस की खोज और प्रकाश के रंगों से दुनिया को परिचित कराकर विश्व के महान वैज्ञानिक बन गए।

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कार्यशाला के उद्देश्य को सार्थक करते हुए मनीष ने बताया कि महान वैज्ञानिक भारत रत्न सर सीवी रमन के मन में यह खयाल आया था कि आखिर ये आसमान और समुन्दर का पानी नीला क्यों दिखायी देता है ? अनवरत प्रयास से उन्होंने खोजा कि नीले रंग का प्रकाश वायुमंडल में सबसे ज्यादा बिखरता है और स्पेक्ट्रोमीटर की खोज की |

जिला विज्ञान क्लब समन्वयक मनीष कुमार ने कहा कि दो वर्षों से घरों में छोटे बच्चे कैद हैं जहां उनका सामजिक संपर्क शून्य सा हो गया है। माता-पिता व शिक्षकों को बच्चों के हर एक प्रश्न का उत्तर देना चाहिए। बच्चों को नए प्रश्नों के निर्माण के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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