कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा का फल दोगुना मिलता है। इस साल एकादशी व्रत को लेकर लोगों में भ्रम है। व्रत कब रखा जाएगा और व्रत का पारण कब होगा। आइए जानते हैं कि कब रखना है व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
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ज्योतिषाचार्य के अनुसार एकादशी तिथि 14 नवंबर सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जो 15 नवंबर सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक है। 14 नवंबर को उदयातिथि में इस तिथि के प्रारंभ होने से इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 15 नवंबर को सुबह श्री हरि नारायण का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करें।
देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि
गन्ने का मंडप बनाने के बाद बीच में चौक बना लें। इसके बाद चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं। चौक के साथ ही भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं, जिसको कि ढ़क दिया जाता है। इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाडा और फल-मिठाई समर्पित किए जाते हैं। घी का एक दीपक जलाया जाता है जो कि रातभर जलता रहता है। भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है। फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है। इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज की जाती है। इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है।जिसके बाद सभी मंगल कार्य विधिवत शुरु किए जा सकते हैं।
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