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रिश्ते निभाने की संजीदगी कोई मुलायम से सीखे, राह चलते लोगों को बनाया नेता

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रिश्ते निभाने की संजीदगी कोई मुलायम से सीखे, राह चलते लोगों को बनाया नेता

रिश्ते निभाने की संजीदगी कोई मुलायम से सीखे, राह चलते लोगों को बनाया नेता

  • राजनीति में अपनों को स्थापित करने में कभी नहीं चूके मुलायम

औरैया। अविभाजित जनपद इटावा ( 1997 से औरैया जनपद) में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दर्जनों ऐसे साथी रहे हैं जिनसे रिश्ते निभाने में मुलायम की संजीदगी में आम आदमी को भी उनका कायल बना दिया। नेताजी को जब भी मौका मिला राजनीतिक रूप से अपने इन साथियों को उन्होंने आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हम यहां कुछ खास शख्सियतों की बात करेंगे जिनके रिश्ते मुलायम सिंह यादव से कई दशकों तक बदस्तूर रहे। अजीतमल क्षेत्र के ठाकुर भोला सिंह, औरैया के कमलेश पाठक, लहरापुर के ठाकुर जसवंत सिंह, देवरांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गुरु नारायण त्रिपाठी, बटपुरा के बाबा शिवदयाल याज्ञिक, दिबियापुर के डॉक्टर सरस्वती नारायण गुप्ता, डांडी के बंगाली सिंह फूफा जी, पंडित सत्यनारायण दत्त दुबे,कढोरे का पुरवा के मुलायम सिंह यादव उर्फ प्रमुख जी, दिबियापुर के नेत्रपाल सिंह नायक, बिधूना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र सिंह यादव , प्रमोद गुप्ता एलएस, औरैया के प्रोफेसर हसमत उल्ला खां आदि कुछ ऐसे नाम हैं, जिनकी मुलायम से निकटता किसी से छिपी नहीं है।

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इनमें से कई लोगों से जहां मुलायम ने पारिवारिक रिश्ते निभाए वहीं कई लोगों को बड़ी राजनीतिक पहचान दी।यह मुलायम सिंह का ही रिश्ते निभाने का नतीजा था जिसने कमलेश पाठक को दो बार विधायक, दो बार एमएलसी और दो बार ही दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया है। मुलायम के पहले मुख्यमंत्रित्व काल में उन्हें मिनी चीफ मिनिस्टर के तौर पर देखा जाता था। उम्र के आखिरी पड़ाव पर ठाकुर भोला सिंह, पंडित सत्यनारायण दत्त दुबे को मंत्री का दर्जा दिलाया। तो औरैया के मुलायम सिंह यादव को लगातार तीन बार स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद में भेजा। बचपन में मुलायम की शान सम्मान में इटावा के विभिन्न नगर कस्बों में खुद हाथ में बाल्टी और ब्रश लेकर वॉल पेंटिंग करने वाले बिधूना के प्रमोद गुप्ता एलएस को एक जमाने में पार्टी का रसूखदार नेता और फिर विधायक बनवाया। यही नहीं निधन से कुछ दिन पहले वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गुरु नारायण तिवारी के घर उनका हालचाल लेने पहुंच गए तो लहरापुर में जसवंत सिंह के यहां भी अक्सर निजी और सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका आना-जाना रहता था। दिबियापुर में एक बेहद सामान्य कार्यकर्ता नेत्रपाल सिंह नायक के निधन की खबर नेताजी को लखनऊ में मिली तो तत्काल लखनऊ से वे दिबियापुर के लिए निकल पड़े। नेताजी के आने की सूचना पर दिबियापुर के नेताओं ने दिवंगत नेत्रपाल सिंह नायक के घर तखत टेंट का इंतजाम कराया तो नेता जी ने आकर पार्टी को मजबूत करने वाले नेत्रपाल सिंह को श्रद्धांजलि दी। औरैया, इटावा सहित आसपास के जनपदों में ऐसे 1-2 नहीं सैकड़ों उदाहरण हैं

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जहां नेताजी ने अपनों से रिश्ता निभाने में किसी भी तरह की कोई कंजूसी नहीं की। उनकी इसी दरियादिली ने उन्हें धरतीपुत्र बना दिया। मुलायम ने राह चलते लोगों को बनाया नेता जब 2004 में सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो उन्होंने अजीतमल के बाबू सत्यनारायण दुबे को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए यूपी इलेक्ट्रोनिक निगम का चेयरमैन बना दिया। मुलायम सिंह यादव ने सूबे में काबिज अपनी विभिन्न सरकारों में औरैया के कमलेश पाठक, इटावा के उमेश दीक्षित, इटावा शहर में दोना पत्तल के दुकानदार राम प्रसाद सविता तो कभी इटावा की ही शीला टाकीज में गेटकीपरी करने वाले दयाराम प्रजापति, स्वर्गीय रामाधीन शर्मा समेत कइयों को सूबे के अलग अलग निगमों का चेयरमैन बनाकर उनके राजनीतिक कैरियर को नई दिशा प्रदान की। सूबे के आगरा, मैनपुरी, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया फिरोजाबाद, एटा, अगर आज समाजवादी गढ़ में रूप में प्रख्यात है तो इसके पोछे का बस यही एक कारण है कि इन क्षेत्रों में मुलायम सिंह यादव ने अपने संघर्ष की एक मजबूत इबारत लिखी है। मुलायम सिंह यादव ने इन इलाकों में राह चलते लोगों को नेता बनाया है। अगर इन सभी के नामों की हम चर्चा करने लगे तो उनकी इतनी लंबी फ़ेहरिश्त है कि उसे स्टोरी में समाहित करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

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