- कबीरदास का 623 वां प्राकट्य दिवस मनाया
औरैया: दुनियां को बुरा जो देखन मैं चला मुझसे बुरा न कोय जैसी सीख देने वाले सद्गुरु कबीरदास का प्राकट्य दिवस कबीर विज्ञानाश्रम हरिहर बाग मुनागंज अछल्दा में शुक्रवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया गया। कबीर पन्थ के अनुयाइयों एवं भक्तों ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदारी की। सद्गुरु कबीरदास 15 वीं सदी के रहस्यवादी सन्त थे।उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल दिया। समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांडों ,अंधविश्वास ,जातिवाद आदि पर कुठाराघात किया।महंत रवीन्द्र दास विशारद ने कहा कि कबीर की सामाजिक चिंता आध्यात्मिक थी जो मानववाद पर बल देती है।
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उनकी मूल अनुभूति अद्वैत की है लेकिन उन्होंने उसे रहस्यवाद के रूप में व्यक्त किया है।कबीर वेदांत के अद्वैत से रहस्यवाद की भूमि पर आए।उनका रहस्यवाद उपनिषदों के ऋषियों के समान है। सद्गुरु कबीर साहब के प्राकट्य दिवस पर हम सभी उन्हें सादर नमन करते हैं।इस मौके पर आपसी वैमनस्यता को खत्म कर सामाजिक भाईचारे पर बल देने के लिए आम जन मानस से अनुरोध किया गया। कार्यक्रम में महंत रवींद्र दास विशारद, जीवन दास ,राम शरण दास आदि संतगण उपस्थित रहे।