3 महीनें में यह कार्य चरणबद्ध तरह से किया जाए
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे ट्रैक के आसपास बनी लगभग 48000 झुग्गियो को 3 महीने में हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी कोर्ट झुग्गिया हटाने के फैसले पर रोक नहीं लगाएगी और न ही इसमें किसी भी तरह का राजनैतिक व अन्य हस्तक्षेप होगा। झुग्गी-झोंपड़ियों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने अतिक्रमणों को हटाने के संबंध में किसी भी तरह का स्टे देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर रेलवे ट्रैक के आसपास से अतिक्रमण हटाने से संबंधित कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने रेलवे ट्रैक के आसपास कचरा हटाने का भी आदेश दिया है। बता दें कि इन रेलवे ट्रैक की लंबाई 140 किलोमीटर है।
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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बी आर गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा निर्देशित रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि एक महीने के भीतर क्षेत्र से कचरे और अतिक्रमणों को हटाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम सभी हितधारकों को यह भी निर्देशित करते हैं कि झुग्गियों को हटाने की एक व्यापक योजना बनाई जाए और इसे चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा क्षेत्रों में जो अतिक्रमण है, उन्हें तीन महीने की अवधि के भीतर हटाया जाए और इस दौरान किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
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ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे को दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र से शुरू होने वाले उत्तरी क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (solid waste management ) के लिए समयबद्ध योजना पेश करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। पीठ ने कहा कि इसपर खर्च होने वाली राशि का 70 प्रतिशत रेलवे और 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
पीठ ने एसडीएमसी, रेलवे और अन्य एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके ठेकेदार रेलवे पटरियों के किनारों पर कूड़ा / कचरा न डालें और रेलवे एक दीर्घकालिक योजना भी तैयार करेगा कि पटरियों के किनारे कचरे का ऐसा ढेर न लगे। 28 फरवरी को, शीर्ष अदालत ने बाहरी दिल्ली क्षेत्र में रेलवे लाइनों के दोनों ओर पड़े प्लास्टिक बैग और कचरे के ढेर को लेकर दिल्ली सरकार, नागरिक निकायों और ईपीसीए को इसे हटाने के लिए एक ठोस योजना बनाने को कहा था।
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