भगवान परशुराम , भगवान विष्णु के दस अवतार में से छटवे अवतार है । जमदग्नि ऋषि और उनकी पत्नी रेणुका के पाँचवी संतान का नाम राम था। उनका जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था ।भगवान शिव की परम भक्ति के कारण भगवान शिव ने राम को परशु प्रदान किया, जिसके कारण उनका नाम परशुराम प्रसिद्ध हुआ। परशुराम की माँ रेणुका से किसी गलती पर जमदग्नि ने रेणुका को मार डालने का आदेश दिया, लेकिन उनके किसी पुत्र ने अपने पिता की आज्ञा का पालन नही किया। परशुराम ने पितृ भक्त होने के कारण अपनी माता का सिर काट लिया। जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम पर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने अपने माता को फिर जीवित करने का वरदान मांग लिया। जमदग्नि ऋषि के पास उनके आश्रम में कामधेनु गाय भी थी। जब आश्रम में परशुराम नहीं थे तब कामधेनु को हैहय वंशी सहस्रबाहु ने आश्रम से कामधेनु को जबरन ले लिया। परशुराम को जब पता लगा तो उन्होंने सहस्रबाहु को मार डाला । दूसरे दिन सहस्रबाहु के पुत्रों ने अकेला देखकर जमदग्नि को मार डाला ।परशुराम ने क्रोधित होकर 21 वार हैहय वंशी आततायी क्षत्रियों को मारकर पृथ्वी विहीन कर डाला । सीता स्वयंवर के समय भगवान राम द्वारा शिवधनुष तोड़ने पर उन्होंने मिथिला पहुँच कर बहुत अधिक क्रोध किया। भगवान राम को विष्णु का अवतार जानकर परशुराम ने क्रोध त्याग दिया भगवान परशुराम अजर अमर है , उनके पास ब्रह्मास्त्र सहित अनेकों दिव्यास्त्रों का भंडार है। दुआपर युग में भीष्म ने परशुराम से ही धनुर्विद्या और ब्रहास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। कर्ण ने भी परशुराम से ही धनुर्विद्या की शिक्षा ग्रहण की थी।
भगवान परशुराम की जयंती पर विशेष, परशुराम ने किसे दिया था ब्रह्मास्त्र?
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