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अयोध्या में हनुमानगढ़ी में अगंद टीले की जमीन न देने पर अड़े नागा साधु करेंगे बड़ा आंदोलन

by Tejas Khabar
अयोध्या में हनुमानगढ़ी में अगंद टीले की जमीन न देने पर अड़े नागा साधु करेंगे बड़ा आंदोलन

अयोध्या। उत्तर प्रदेश में अयोध्या के सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के नागा संतों ने शनिवार को कहा कि वह किसी भी कीमत पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के अंगद टीला की जमीन लेने नहीं देंगे। चाहे इसके लिये उन्हें बड़ा आंदोलन क्यों ही न करना पड़े।
सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के नागा संतों ने आज यहां श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह किसी भी कीमत पर ट्रस्ट को प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के अंदर किला की जमीन को लेने नहीं देंगे। इसके लिये चाहे मुझे बड़ा आंदोलन ही क्यों न करना पड़े तो वह करेंगे। संतों ने कहा कि ईंट से ईंट बजा देंगे परन्तु जमीन नहीं देंगे।

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श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत, हरिद्वारी पट्टी के महंत मुरलीदास महाराज ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अंगद टीला की जमीन हनुमानगढ़ी हरिद्वारी पट्टी की जमीन है जहां पर मंदिर में हनुमान जी और अंगद की मूर्ति विराजमान है। उन्होंने कहा कि उस जमीन पर हमसे बहुत पहले मंदिर बना हुआ है तबसे वहां पर हम सब लोग पूजा-पाठ करते चले आ रहे हैं। लेकिन आज मंदिर की छवि को समाप्त करने का कुचक्र रचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम हरिद्वारी पट्टी के महंत हैं, तबसे अंगद टीला की जमीन को नजूल में दर्शाया जा रहा है। इससे पहले महंत नारायण दास, महंत गोकुल दास, महंत रामनेवाज दास, महंत जयकरन दास, हरिद्वारी पट्टी के महंत थे तब यह जमीन नजूल नहीं थी।

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उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ऐसा कुचक्र रचकर इस जमीन को लेने की कोशिश कर रहा है। हम चाहते हैं कि हमारी यह जमीन सुरक्षित रहे।संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हनुमानगढ़ी के महंत संजय दास ने कहा कि हनुमानगढ़ी पंच रामानन्दीय निर्वाणी अनी अखाड़ा पट्टी हरिद्वारी महंत मुरलीदास महाराज के नाम से यह अंगद टीला की जमीन है जो श्रीरामजन्मभूमि व श्रीराम अस्पताल के बीचों बीच है, जिसमें 1320 से यह फसली है। उस समय रामायण दास हरिद्वारी पट्टी के महंत थे। यह जमीन नजूल में नहीं थी। उसके बाद 1330 में गोकुल दास आये तब भी यह नजूल में नहीं रही। उन्होंने कहा कि फिर 1835 में जयकरन दास महंत हुए। उस दौरान भी यह नजूल में नहीं था। खेवटदार उस समय महंत जयकरन दास थे। फिर 1351 में रामनेवाज दास हुए। उस समय भी जमीन नजूल में नहीं रही।

उन्होंने बताया कि उसके बाद महंत मुरलीदास हुए। प्रशासन यह श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कुचक्र रचकर इस जमीन को नजूल में दर्शाया है ताकि भविष्य में यह जमीन लेने के लिये ठीक रहे। उन्होंने कहा कि हम लोगों का मुकदमा रेवेंयू एवं सदर मुंसिफ के यहां चल रहा है। ऐसे समय में इस जमीन पर निर्माण या अन्य कोई कार्य नहीं होना चाहिये। संजय दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि कल यहां पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गेट खोलने का प्रयास किया जिसको हम लोगों ने कामयाब नहीं होने दिया। इस जमीन के लिये हमें जो भी आंदोलन करना पड़ेगा वह हम करेंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ही ऐसा करवा रहा है।

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ट्रस्ट इस तरह का कार्य करे तो यह अच्छा नहीं है। दूसरे की जमीन हड़पे, मैरिज लॉन या होटल बनाने के लिये तो यह गलत बात है। उन्होंने कहा कि इस जमीन का मुकदमा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से चल रहा है। शासन-प्रशासन को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी जमीन को लेने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। अगर श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट ने लेने की कोशिश किया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। चाहे इसके लिये हमें ईंट से ईंट ही क्यों न बजाना पड़े। इस अवसर पर श्री पंच रामानन्दीय निर्वाणी सहित अन्य नागा तीर्थ मौजूद रहे।

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