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1857 में रानी लक्ष्मीबाई की अगुवाई में कालपी में बनी थी अंग्रेजो से युद्ध की रणनीति

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स्वतंत्रता दिवस पर विशेष

जालौन: हिंदुस्तान अपना 74 वा स्वतत्रंता दिवस मना रहा है और याद कर रहा है उन वीर सपूतों को जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपना बलिदान दिया वैसे तो हजारों नगर, कस्बे क्रांतिकारियों के बलिदान और त्याग के गवाह बने हुए है लेकिन जालौन का कालपी नगर ऐतिहासिक,क्रांतिकारियों की शरण स्थली और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है ,यहां 1857 की आजादी की लड़ाई की रणनीति कालपी में यमुना के किनारे चंदेल कालीन बने भवन में तय हुई थी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया जब अंग्रेजों की भारी सेना झांसी की ओर कूच हुई तो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने बिठूर के नाना साहब, पटना के राजा कुँवर सिंह , और तात्या टोपे के साथ कालपी में यमुना के किनारे इसी विशाल भवन में बैठकर सेना को मजबूत करने और अंग्रेजों से लोहा लेने की युद्धक रणनीति तैयार की गई थी

कालपी से विधायक नरेंद्र सिंह जादौन बताते है कालपी नगर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से जाना जाता है यहां चंदेल कालीन यमुना के किनारे बना भवन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति की गवाही दे रहा है उस भवन में लगा हुआ शिलालेख उस गोपनीय मंत्रणा की गवाही दे रहा जो अंग्रेजो से लोहा लेने के लिए तैयार की गई थी.

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वरिष्ट पत्रकार केपी सिंह बताते हैं कि सामरिक व युद्ध के लिहाज से कालपी को सबसे बेहतर केंद्र बिंदु माना गया था, क्योंकि नवाब बांदा, बिठूर के नाना साहब व तात्या टोपे की रणनीति यह थी कि यमुना पर ही अंग्रेजों की फौज से लोहा लिया जाए। यही पर पूरी प्रथम आजादी की जंग की योजना बनाई गई थी। फिलहाल आजादी के बाद यह ऐतिहासिक धरोहर दरक रही है। इसकी गुंबद टेढ़ी हो चुकी है। जिला प्रशासन रखरखाव के नाम पर सीमेंट की लीपा पोती कर दायित्व निभाने की खानापूरी कर रही है इतिहास खंगालने में जुटे अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ और डीके सिंह बताते हैं कि जिले में ऐसे कई स्थान हैं, जहां पर देश की आजादी के लिए यहां के वीरों ने प्राणों की आहुति दी थी, लेकिन वे गुमनामी में खो गए हैं।

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संग्रहालय से गायब हो गया रानी का बक्शा

वरिष्ठ पत्रकार केपी सिंह बताते है
जब रानी लक्ष्मीबाई शहीद हो गईं तो अंग्रेजों ने उनसे जुड़ी जगहों पर छापामारी की, जहां वह ठहरी थीं। कालपी में उस समय एक बक्शा मिला था, जिसमें रानी की दो तलवारें और साड़ियां मिली थीं। इसकी बाकायदा फर्द बनी थी और एक संग्रहालय में बक्शा को रखा गया था, लेकिन आज उस बक्शा का कोई अता-पता नहीं है। अंग्रेजों ने तो उसे संभाले रखा, लेकिन जब देश आजाद हो गया और अंग्रेज भारत छोड़कर भाग गए, तब हमारी सरकार उस धरोहर को सहेज कर न रख सकी

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पर्यटन स्थल के रूप में कालपी को किया जा रहा विकसित

कालपी से विधायक नरेंद्र सिंह जादौन बताते हैं प्रदेश की योगी सरकार ने कालपी को पर्यटन के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है और इसके लिए कालपी में 5 धार्मिक और ऐतिहासिक जगहों को चिन्हित किया गया है व्यास मंदिर ,सूर्य मंदिर रानी लक्ष्मीबाई का आमंत्रण स्थल किले की दीवार, ऋषि पाराशर की जन्मस्थली परासन गांव और बीरबल की जन्मस्थली ऐतिहासिक स्थलों की जिम्मेदारी आर को आरलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देखरेख में की जा रही है और धार्मिक जगहों को प्रशासन की जिम्मेदारी पर काम को पूरा किया जा रहा है आने वाले 1 साल में कालपी पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा

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