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प्रसव पूर्व जांच से दूर की जा सकती हैं प्रसव संबंधी जटिलताएं

by Tejas Khabar
प्रसव पूर्व जांच से दूर की जा सकती हैं प्रसव संबंधी जटिलताएं
  • उच्च जोखिम गर्भावस्था को पहचानने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की अहम भूमिका
  • जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया गया पीएमएसएमए दिवस
  • 492 गर्भवती की हुई जांच, 61 उच्च जोखिम गर्भावस्था में चिन्हित

औरैया | प्रसव पूर्व जांच बहुत जरूरी है, यदि गर्भवती महिला नियमित रूप से जांच कराती है तो प्रसव संबंधी जटिलताओं को दूर किया जा सकता है। साथ ही पता लगता रहता है कि मां और बच्चे में किसी तरह की परेशानी तो नहीं है। जनपद के जिला चिकित्सालयों सहित समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर सोमवार को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया गया। 492 गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया गया, जिसमें से 61 गर्भवती महिलायेँ उच्च जोखिम (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) की अवस्था में निकली। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती को प्रसव होने तक विशेष निगरानी में रखा जाएगा। सभी के परिवार को समझाया जाएगा कि उनका प्रसव संस्थागत ही कराएं |

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह के अलग-अलग चार दिन सभी गर्भवती को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इसमें गर्भवती की पूर्ण जाँच की जाती है। जांच से यह पता लगाया जाता है कि कहीं कोई गर्भवती उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में तो नहीं है। इस अभियान के अंतर्गत यदि गर्भवती को उनकी प्रसव पूर्व की अवधि के दौरान गुणवत्तायुक्त देखभाल प्रदान की जाए तथा उच्च जोख़िम वाले कारक जैसे कि गंभीर एनिमिया, गर्भवस्था प्रेरित उच्च रक्त चाप इत्यादी का समय पर पता लगाकर अच्छी तरह से प्रबंध किया जाए, तो मातृ मृत्यु में कमी लायी जा सकती है।

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जनपदीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ शिशिर पुरी का कहना है कि गर्भावस्था का समय किसी भी महिला और उसके परिवार के लिए अत्यंत ख़ुशी का समय होता है| महिला को भी अपने गर्भ में नयी जिंदगी के पलने की ख़ुशी और परिवार को नए सदस्य का इंतज़ार रहता है| ऐसे समय प्रसव पूर्व जांच करा कर और सही पौष्टिक आहार लेकर गर्भावस्था के समय खून की कमी से निपटा जा सकता है|

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जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अखिलेश कुमार बताते हैं कि खून की कमी का पता चलने पर गर्भवती का सही इलाज किया जा सकता है और अंतिम समय में होने वाली समस्याओं से निजात मिल सकती है| प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत माह की प्रत्येक 1, 9, 16 व 24 तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती है। इस दिन कोई भी गर्भवती स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करा सकती है।

प्रसव पूर्व जांच का महत्व
• गर्भवस्था में होने वाली जटिलताओं का पता लग जाता है
• मां और बच्चे को होने वाली संभावित बीमारियों से बचाया जा सकता है
• खून की कमी (एनीमिया) होने पर उसका इलाज किया जा सकता है।

प्रसव पूर्व होने वाली जांचें
• प्रथम चरण – गर्भ धारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर
• द्वितीय चरण- गर्भधारण के 14 से 26 हफ्ते के मध्य
• तृतीय चरण- गर्भधारण के 28 से 34 हफ्ते मध्य
चतुर्थ चरण- गर्भधारण के 36वें हफ्ते से शिशु जन्म की अवधि तक

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