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रणजी क्रिकेटर तेजस्वी को राजनीति की पिच में क्यों उतरना पड़ा था , दो रिकार्ड है उनके नाम

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रणजी क्रिकेटर तेजस्वी को राजनीति की पिच में क्यों उतरना पड़ा था
रणजी क्रिकेटर तेजस्वी को राजनीति की पिच में क्यों उतरना पड़ा था

बिहार विधानसभा के चुनाव में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने अपने तेवरों से नीतिश और भाजपा खेमें में खलबली मचा दी है । तेजस्वी के तेवर से नीतिश असहज हो रहे है। तेजस्वी के ओजस्वी भाषण और नीतिश को तीखे अंदाज में घेरने से तेजस्वी के समर्थक जोश से लबरेज हो रहे है । राजद कार्यकर्ताओं को विजय की आशा विश्वास में बदल रही है। ठेठ बिहारी शैली में तेजस्वी जिस तरह करारे प्रहार नीतिश पर कर रहे है उससे तेजस्वी की परिपक्व नेता की छवि उभर कर सामने आई है। 31 साल के इस युवा ने भले ही अपने क्रिकेटर बनने की चाहत में मैट्रिक की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी हो ।

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लेकिन फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले तेजस्वी को राजनीति की पिच पर अपनी कम पढ़ाई को आड़े आने नहीं दिया । राजनीति के पदार्पण में उन पर अशिक्षित होने के आरोप जरूर लगे लेकिन उनके राजनैतिक कुशलता ने इन आरोपों को मुद्दा नहीं बनने दिया । बहुत कम लोगों को ही जानकारी है कि क्रिकेट में उन्होंने रणजी का एक मैच भी खेला है । तेजस्वी ने दिल्ली के आरकेपुरम में डीपीएस से अपनी पढ़ाई के दौरान दिल्ली के लिये अंडर 19 का क्रिकेट मैच भी खेला , इस मैच में उन्होंने केवल 62 गेंदों में ही शतक लगा दिया था । क्रिकेट के प्रेम के चलते ही उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी । हालांकि तेजस्वी क्रिकेट में आगे ज्यादा कुछ नहीं कर सके।

बिहार की राजनीति में समय ने एक बार फिर करवट ली । लालू के सजायाफ्ता होने के बाद और उनकी चुनाव न लड़ सकने की बाध्यता के चलते लालू ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप को दरकिनार कर अपने छोटे बेटे तेजस्वी को अपनी पार्टी का नेतृत्व सौंप दिया । यहीं से तेजस्वी की राजनीति की पारी की शुरुआत हुई । 2015 के बिहार के विधानसभा के चुनाव में तेजस्वी ने राघोपुर विधानसभा से भारी मतों से चुनाव जीता । नीतिश के साथ गठबंधन कर वे प्रदेश के मात्र 26 साल में ही सबसे कम उम्र के डिप्टी सीएम बनने का रिकॉर्ड बनाया । गठबंधन टूटने के बाद वे विहार में सबसे कम उम्र के नेता प्रतिपक्ष भी बने ।

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तेजस्वी और राहुल गांधी की सँयुक्त रैलियों में जनसमूह, तेजस्वी के भाषण पर जबरदस्त समर्थन देता है जबकि राहुल के भाषण के दौरान जनसमूह की उदासी कुछ और ही संकेत बयाँ कर रही है । रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए तेजस्वी युवाओं की नब्ज को देखते हुए कहते है हम थकाऊ और पकाऊ भाषण नहीं करना चाहते वैसे ही युवाओं का जोश सातवें आसमान पर पहुँच जाता है । तेजस्वी के दस लाख के नौकरियों के वायदे ने नीतिश की जबरदस्त घेराबन्दी की । तेजस्वी के इस अस्त्र की काट के लिये भाजपा को भी 19 लाख नौकरियों को देने का वायदा करना पड़ा । इतना ही नहीं भाजपा ने जब नीतिश को तेजस्वी के नागपांश में उलझा हुआ देखा तो इस नागपांश की काट के लिये गरुण रूपी मोदी को उतारना पड़ा । बहराल कुछ भी हो जीत किसे नसीब होती है यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता लग सकेगा, लेकिन बिहार में नीतिश के लिये सत्ता प्राप्त करना अब इतना सरल प्रतीत नहीं हो रहा है ।

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मुनीष त्रिपाठी की स्पेशल रिपोर्ट

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