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अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शृंगार, ओज और हास्य की बही वयार

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शृंगार, ओज और हास्य की बही वयार

हम बदले तो कहा बेवफा, वो बदले तो मजबूरी है…

दिबियापुर। शनिवार रात स्थानीय नारायणी मंडपम में भारत विकास परिषद की प्रस्तुति अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में मानों रसिक श्रोताओं का बड़ा समूह उमड़ पड़ा हो।नगर के लगभग सभी गणमान्य लोगों की पूरे कवि सम्मेलन में उपस्तिथि ने माहौल को खास बना दिया। शृंगार, ओज व हास्य-व्यंग्य के रचनाकार सभी कवियों को भरपूर सुना गया। मां सरस्वती एवं भारत माता व स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ शुरू होकर रात्रि 2:00 तक चले इस कवि सम्मेलन में साहित्यानुरागियों ने यश भारती से सम्मानित गीतकार डॉक्टर विष्णु सक्सेना को देर रात तक सुना।गीतकार गजेंद्र प्रियांशु ने श्रंगार से पूरे माहौल को सराबोर कर दिया तो हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी ने जमकर लोगों को गुदगुदाया। रुचि चतुर्वेदी ने स्वरों से शमा बांधा तो संचालन की कुशलता से सर्वेश अस्थाना ने लोगों को जमकर आनंद दिया साथ ही शौर्य से लबरेज अजय अंजाम ने ‘चेतक’ के साथ माहौल में जोश और जुनून पैदा कर दिया।

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इससे पहले नगर पंचायत अध्यक्ष राघव मिश्रा ने सभी कवियों और अतिथियों का वैज अलंकरण एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। गीतकार डॉक्टर विष्णु सक्सेना ने अपने खास अंदाज में कई मुक्तक और गीत सुना तो लोग उनके साथ झूमने को मजबूर हो गए। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने अपनी पहचान बन चुके कई गीत सुनाए। मुख्य रूप से तुम हमारी कसम तोड़ दो, हम तुम्हारी कसम तोड़ दें तथा रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा,एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं जैसी प्रतिनिधि रचनाएं श्रोताओं ने जमकर सुनी। उनकी यह रचना तन और मन हैं पास बहुत फिर, सोच-सोच में क्यों दूरी है,हम बदले तो कहा बेवफा वो बदले तो मजबूरी है।

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गीतकार प्रियांशु गजेंद्र ने एक से बढ़कर एक कई गीत सुनाए और जमकर तालियां बटोरीं। उनकी यह रचना बेहद सराही गई। पांव बेचकर सफर खरीदे, सफर बेचकर राहें, जब मैं खुद को बेंच चुका तो सबकी पड़ी निगाहें तथा तुम जहां बारूद की फसलें उगाते मैं उन्हीं खेतों में मेंहदी बो रहा हूं।
हल्दीघाटी पर अजय अंजाम की प्रतिनिधि रचना ‘मेवाड़ विजय के रस्ते में खुद का तन रोड़ा बना दिया,चेतक योद्धा बन गया और मुगलों को घोड़ा बना दिया’ ने मंडपम में मौजूद हर किसी के अंदर देशभक्ति और जोश का संचार कर दिया। रुचि चतुर्वेदी की यह रचना पुण्य चरणों की रज हो गया, भावनाओं का ध्वज हो गया, राधिका कृष्ण इक हो गए, प्रेम का नाम बृज हो गया, खूब पसंद की गई।

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संचालन कर रहे डॉक्टर सर्वेश अस्थाना ने अपने व्यंग्य बाण के जरिए लोगों को खूब लोटपोट किया। बढ़ते राजनीतिक दल बदल पर उनकी यह रचना खूब पसंद की गई। किसी नेता की गिरगिट से तुलना करना महा पाप है, क्योंकि रंग बदलने के मामले में गिरगिट नेता का बाप है । प्रयागराज से आए हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी ने भी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों को जमकर गुदगुदाया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष कमल दोहरे, विहिप के क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल दीक्षित,बिधूना के नगर पंचायत अध्यक्ष आदर्श मिश्रा, अछल्दा चेयरमैन रिंटू दुबे, फफू़ंद चेयरमैन अनवर,अटसू के चेयरमैन प्रतिनिधि स्वदेश पोरवाल, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉक्टर अशोक शर्मा, जिला महामंत्री कौशल राजपूत,धीरेंद्र सिंह गौर, शिव सिंह भारती एवं भारत विकास परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रमेश चंद शुक्ला,प्रांतीय संरक्षक अशोक त्रिपाठी और विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, नगर पंचायत दिबियापुर के सभासद आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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