बिहार : जिस तरह ओपिनियन पोल में तेजस्वी की राजद और एनडीए के बीच काँटे की टक्कर दिखाई दे रही है, उससे यही लग रहा है बिहार में नीतिश विरोधी लहर चल रही है ।बिहार के चुनाव परिणाम देश की राजनीति में बड़े बदलाव लाने वाले साबित होंगे । अगर तेजस्वी के नेतृत्व वाला राजद सत्ता में आता है तो तेजस्वी का कद बहुत बढ़ेगा । भले ही तेजस्वी ने क्रिकेट से प्रेम के चलते मेट्रिक में ही पढ़ाई छोड़ दी हो लेकिन जिस तरह से मात्र इकत्तीस साल के तेजस्वी ने इस बार के बिहार विधानसभा के चुनाव में आक्रामक और परिपक्व तरह से नीतिश कुमार को घेरा वह तेजस्वी के राजनैतिक चातुर्य को प्रगट करता है।
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यदि तेजस्वी बिहार चुनाव जीतकर सत्ता में पहुँचते है तो निश्चित तौर पर देश भर के समाजवादियों में आशा और आत्मविश्वास का संचार होगा । यही आशा और आत्मविश्वास निकट भविष्य में एक सशक्त मोर्चा बनाने की संभावना को समेटे हुए होगा । यदि कोई मोर्चा भविष्य में बनता है तो उसमें तेजस्वी की प्रमुख भूमिका होगी तथा बिहार के इतर भी केंद्र की राजनीति में अहम रोल होगा ।तेजस्वी की जीत से बिहार के पड़ोसी प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी खासा प्रभाव पड़ने की संभावना है । 2022 में यूपी विधानसभा के चुनाव होने है उस पर भी तेजस्वी की जीत के असर डालने की संभावना होगी । यूपी में योगी सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ही सड़को पर उतर रही है। बसपा अभी तक सड़को पर नहीं उतर सकी है ।
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इसलिये बिहार में तेजस्वी की विजय यूपी के समाजवादियों को सम्बल प्रदान करेगी । तेजस्वी यादव, मुलायम सिंह के पौत्र और मैनपुरी से पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव के साले भी है इसलिये तेजस्वी की जीत यूपी के राजनैतिक परिदृश्य में खासा रोल अदा कर सकती है । जहाँ तक देश भर के समाजवादी दलों के एक ही मंच पर आने की बात है वह भाजपा के खिलाफ तो एक मंच पर आ सकते है परन्तु उनके विलय की संभावना जिस तरह 1977 में जनता पार्टी और 1989 के जनता दल के निर्माण के दौरान हुई थी बहुत ही क्षीण है ।
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