हैदराबाद। तेलंगाना सत्तारूढ टीआरएस के नाम परिवर्तन होने के बाद से ही झटका लगता जा रहा हैं , राज्य ईकाई के नेता पार्टी प्रमुख के इस कदम से सहमत नहीं हैं। बताया जा रहा हैं पार्टी में बिना वरिष्ठ नेताओं के सलाह लिए बगैर ही केसीआर ने पार्टी के नाम में परिवर्तन कर दिया हैं। इस्तीफा देने के बाद डा नरसैय्या ने कहा कि पार्टी प्रमुख के इस कदम की जानकारी उन्हें टीवी समाचार के जरिए मिली। नरसैय्या ने आगे कहा कि उन्होनें अपने त्यागपत्र में केसीआर की कोई आलोचना नहीं की हैं, केवल तथ्य लिखे हैं। पार्टी से अलग होते हुए उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा हैं। अगर ऐसा पता होता तो वह पार्टी को अब से पहले अलविदा कह देते। निजी संबंधों के कारण ही पार्टी में आज बना हुआ था।
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आपको बता दे की टीआरएस गत दिनों पहले ही भव्य कार्यक्रम के जरिए पार्टी के नाम परिवर्तन किया था, टीआरएस को तेलंगाना से अलग और भी प्रदेशों में विस्तार करने के लिए पार्टी के कार्यकारिणी व संगठन में उच्च स्तर पर बदलाव किया गया था । कार्यक्रम में टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस कर दिया गया था । ताकि तेंलगाना से अलग प्रदेशों में पार्टी के विचार व नीती का विस्तार किया जा सके । लेकिन इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के टीआरएस कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था । लेकिन डां नरसैय्या को पार्टी की नीति व एजेंडा से बेखबर रखने के कारण उन्होनें पार्टी से इस्तीफा दे दिया हैं ।
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तेलंगाना के सीएम केसीआर पीएम चेहरा बनने के लिए लगातार विपक्षी दलों की एकता का सहारा बन रहे हैं । ताकि विपक्षी चेहरा बनकर पीएम मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव में टक्कर दी जा सके । लेकिन केसीआर विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिलने के बाद से सियासी तौर पर कमजोर होते जा रहे हैं । राज्य में केंद्र सत्तारूढ दल बीजेपी अपनी सक्रियता को बढ़ा रही हैं । जिसके चलते तीन उपचुनाव में भी बीजेपी ने धमाकेदार जीत दर्ज की हैं । केसीआर के लिए राज्य में सियासी नेटवर्क कमजोर होता जा रहा हैं , राज्य के आतंरिक परिपेक्ष में केसीआर पर भगवा पार्टी भारी पड़ रही हैं । मोदी को टक्कर देने के चक्कर में केसीआर राज्य के नेताओं को गंवा रहे हैं , जो काफी जनाधार वाले नेता माने जाते हैंं।