- गांव में नहीं दिखाई दे रहे कोई विकास कार्य
- सड़क बनी दलदल स्कूली बच्चों और ग्रामीणों का निकलना हुआ दूभर
- गरीबों को नहीं मिले आशियाने मजबूरी में पन्नी और त्रिपाल तानकर कर रहे गुजर बसर
- ग्रामीणों का आरोप प्रधान और सचिव काट रहे मलाई
- ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से भैंसौल गांव की जांच कराए जाने की मांग की है
फफूंद (औरैया) । केंद्र की सरकार और प्रदेश सरकार गांव के लोगों के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं । लेकिन वह योजनाएं कई ग्राम पंचायतों में नजर नहीं आ रहीं हैं । ऐसी ही एक ग्राम पंचायत भैंसोल है जिसकी हालत बद से बदतर है। जहां सड़क दलदल बनी हुई है वहीं कई ऐसे परिवार हैं जो पन्नी और त्रिपाल डालकर रह रहे हैं । नालियां बजबजा रहीं हैं गांव में जगह जगह गंदगी होने से बीमारी फैलने का भी डर है वहीं किसान आवारा जानवरों से परेशान हैं । ग्राम प्रधान और सचिव सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं । जनपद औरैया के ब्लाक अछल्दा की ग्राम पंचायत भेंसोल के वाशिंदे नरकीय जीवन जीने को विवश हैं । गांव की मुख्य सड़क जो कई गांवों को जोड़ती है दलदल बनी हुई जिससे स्कूली बच्चों सहित ग्रामीणों का निकलना दूभर है वहीं नाला न बनने से पानी निकासी नहीं हो पाती है जिससे वहां पानी भरा रहने से गंदगी व्याप्त है लोगों को बीमारी फैलने का डर सता रहा है ।
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गांव में आज भी कई ऐसे परिवार हैं जो पन्नी और त्रिपाल डालकर रह रहे हैं आज तक उन्हें आवास नहीं दिया गया । नीलम पत्नी प्रमोद ने बताया कि वह पन्नी डालकर अपने तीन बच्चों के साथ रहती है । उसने बताया कि कच्ची दीवार खड़ी करके उसने नहाने के लिए बनाया था बरसात में वह गिर गया जिससे उसे और उसकी बच्चियों को नहाने के लिए दूसरे के घरों में जाना पड़ता है वहीं उसने बताया कई बार कालोनी के लिए फार्म तो भरे गए लेकिन आज तक उसे कालोनी नहीं मिली है । इसी तरह गांव के राम भरोसे अपनी पत्नी के साथ तिरपाल और फूस की मड़ैया में रहते हैं इनका कहना था कि बरसात में बहुत दिक्कत होती है हमेशा सांप बिच्छू के काटने का डर बना रहता है कभी कभी तो पूरी पूरी रात जागकर काटनी पड़ती है । इनको भी आज तक कालोनी नहीं मिल पाई है ।
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वहीं गांव के वृद्ध राम चंद्र ने बताया कि उसके घर की दीवारें ईंट की खड़ी हैं लेकिन छत कच्ची है जिसका बरसात में कभी भी गिरने का अंदेशा बना रहता है वह इसी घर में अपनी पत्नी और बेवा हुई बेटी सुनीता के साथ रहता है । इसी तरह गांव में सुनील कुमार प्रजापति , बृजेंद्र सविता , मुकेश बाबू सहित कई लोग ऐसे हैं जिनके कच्चे मकान गिर चुके हैं या गिरने की कगार पर हैं । वहीं ग्रामीणों का कहना था कि गांव में आवारा जानवरों के वजह से खेती करना मुश्किल हो गया है । पूरी पूरी रात जागकर खेतों की रखवाली करनी पड़ती है । ग्रामीणों की मानें तो उनका कहना है कि ग्राम पंचायत भैंसोल में इस पंचवर्षीय कोई विकास कार्य नहीं हुए हैं जबकि गांव में विकास कार्य के लिए सरकार रुपया भेजती है तो वह जाता कहां है ।
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गांव के विकास के लिए आने वाला रुपया ग्राम प्रधान और सचिव बंदरबांट कर सरकार की मंशा पर पानी फेरने में लगे हैं । सारा विकास कार्य फाइलों में सिमट कर रह गया है । गांव के अजय कुमार,सीकू, वीरु , हरिकिशन,सिंटू,सर्वेश,अंकित, चंद्रपाल,गोविंद,शीलू,बलराम,अजूबे,लखपत,रामचंद्र सहित तमाम ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई है कि वह ग्राम भैंसौल की जांच कराकर यहां के वाशिंदों को नरकीय जीवन से निजात दिला दें ।