Home » बाढ़ पीड़ितों का दर्द बाटने नही आये जनप्रतिनिधि

बाढ़ पीड़ितों का दर्द बाटने नही आये जनप्रतिनिधि

by
बाढ़ पीड़ितों का दर्द बाटने नही आये जनप्रतिनिधि
बाढ़ पीड़ितों का दर्द बाटने नही आये जनप्रतिनिधि

  • लोग भूखों मरने की कगार पर
  • अपने को सुरक्षित करने की कवायद में जुटे लोग

औरैया | वैसे तो आम जिंदगी का दर्द दिखता कम है लेकिन जब आपदा आती है तो मानो मुसीबत का पहाड़ टूट जाता है और ऐसी ही मुसीबत आयी है बाढ़ पीड़ितों पर न सोने को छत है,न पीने को पानी है और न ही कोई रहने का ठिकाना ऐसे में उनके दुःख और दर्द को बांटने का वादा करने वाले जनप्रतिनिधी गायब नजर आ रहे है।

यह भी देखें : जिलाधिकारी ने किया बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण

चुनाव के नजदीक आते ही नेताओं की पोटली ऐसी खुल जाती है जैसे जनता का इनसें बड़ा हमदर्द कोई नही,लेकिन जब उनको जीत मिल जाती है तो जनता का दुःख दर्द बाटने का समय ही नही मिलता।

यह भी देखें : सरकार की नीतियों का विरोध कर सपा ने कराया ताकत का अहसास

बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने अब जनप्रतिनिधियों के ऊपर सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि जिन्हें उन्होंने अपना कीमती वोट देकर जीत दिलाई वह ही उनकी समस्या को सुनने के लिए नहीं आए। कहा कि वह लोग भूखों मरने की कगार पर पहुंच गए हैं और यहां पर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है।

यह भी देखें : दुकानदार बाप बेटे को अराजकतत्वों ने मारपीट कर घायल किया

उन्हें रात में खुले आसमान के नीचे सोना पड़ता है और गंदा पानी पीकर अपने आप को जीवित रखना पड़ रहा है।यह हर एक दो गांव का नहीं बल्कि बीहड़ क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांव का है। ग्राम पंचायत असेवा के लोगों का कहना है कि उनके घरों के चारों ओर पानी भरा हुआ है और जो हर नीचे थे उनके अंदर तक पानी घुस गया है। वह अपने सामान को सुरक्षित करने की कवायद में लगे हुए हैं। अनाज उनका सारा भीग कर नष्ट हो चुका है अब उनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है।

ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि जब उन्हें वोट चाहिए थे तो वह दिन में चार चार चक्कर लगाते थे मगर अब जब उनके सामने बाढ़ जैसी समस्या खड़ी हो गई है तो वह लोग मुंह छुपाकर पता नहीं कहां चले गए हैं।

उन्होंने जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां पर किसी भी जनप्रतिनिधि एवं सरकारी सहायता को अब तक नहीं भिजवाया गया है। जबकि गांव में पानी भरे हुए दो-तीन दिन से अधिक का समय हो गया है।

You may also like

Leave a Comment

tejas-khabar-logo

अप्रैल 2020 में स्थापित तेजस ख़बर भारत का अग्रणी हिंदी समाचार वेब पोर्टल है, जिसका उद्देश्य भारत के करोड़ों भारतीयों तक खबरें पहुंचाना है और दुनिया भर में महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी हैं जो भारत में आधारित विभिन्न समाचारों और कहानियों के साथ भारत से संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं।

Latest News

Sport News