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मैनपुरी के लाल शहीद सैनिक के अंतिम दर्शन को उमड़ा जन सैलाब

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मैनपुरी के लाल शहीद सैनिक के अंतिम दर्शन को उमड़ा जन सैलाब
मैनपुरी के लाल शहीद सैनिक के अंतिम दर्शन को उमड़ा जन सैलाब
  • पूरे राजकीय सम्मान के साथ नम आँखों से दी गई वीर शहीद को अंतिम विदाई
  • सेना की टुकड़ी ने दिया गार्ड आफ आनर
  • शहीद के अंतिम संस्कार में जिले के अधिकारियों सहित तमाम राजनैतिक पार्टियों के नेता भी रहे मौजूद

मैनपुरी- अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादियों के हमले में शहीद हुए असम राइफल्स के जवान वीरेंद्र सिंह यादव का पार्थिव शरीर उनके ग्रह जनपद मैनपुरी में उनके पैतृक गांव नानामऊ देर रात पहुँचा। जहाँ उनके अंतिम दर्शन को बड़ी तादात में लोगों की भीड़ जमा हो गई। रात से ही उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। आज सुबह सैन्य अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने पूरे सम्मान के साथ शहीद वीरेंद्र सिंह यादव को पुष्पांजलि अर्पित की। इस बीच शहीद वीरेंद्र सिंह यादव के अंतिम दर्शन को आये लोगों ने भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक वीरेंद्र सिंह तेरा नाम रहेगा के नारे लगाए।उनके बड़े बेटे बबलू ने उन्हें नम आंखों से मुखाग्नि दी।

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आपको बताते चलें कि मैनपुरी के नायब सूबेदार वीरेंद्र सिंह यादव अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादी हमले के दौरान शहीद हो गए थे। शहीद जवान का पार्थिव शरीर मंगलवार रात को उनके पैतृक गांव पहुंचा। अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादी हमले के दौरान शहीद हुए मैनपुरी के नायब सूबेदार वीरेंद्र सिंह यादव की शहादत की खबर सुनकर पूरा जनपद शोक में डूब गया। शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुँचा तो शहीद के परिवार को सांत्वना देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोगों का तांता लग गया।

उग्रवादी हमले में शहीद हुए वीरेंद्र यादव के गांव में मातम

मैनपुरी जिले में मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूरी पर गांव नानामऊ (हालांकि यह गांव मैनपुरी कुरावली मार्ग पर बसा है) की आबादी 3000 है। इस गांव में लगभग 15 से अधिक लोग सेना में हैं। इस गांव का एक ऐसा परिवार है, जिसमें एक ही परिवार में 8 लोग सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं और कुछ दे रहे हैं।
ऐसे ही परिवार में वीर सपूत वीरेंद्र सिंह यादव ने जन्म लिया नाम था। हालांकि वीरेंद्र सिंह यादव बाल्यावस्था से ही सरल स्वभाव के थे। आदर भाव उनके रग-रग में विराजमान था। इसी दौरान कुदरत को कुछ और मंजूर था। बाल्यावस्था में ही पिता का साया सिर से उठ गया और माता की मौत हो गई। सभी दायित्वों की पूर्ति उनके ताऊ ने की। ऐसे में प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव में ही पूरी की। देवनागरी इंटर कॉलेज में वीरेंद्र सिंह ने इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद परिवार के जो लोग सेना में सर्विस कर रहे थे, उनके पास अपनी आजमाइश के लिए मिजोरम चले गए।
वहीं से इनको 1985 के दौरान असम राइफल यूनिट में राइफल मैन पद पर तैनाती मिली और यह लगातार 35 साल तक सर्विस दे चुके थे। अभी हाल में ही गांव से छुट्टी समाप्त करके ड्यूटी पर गए थे।

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रविवार की सुबह वीरेंद्र ने अपनी पत्नी मुकेश से बातचीत में कहा था कि उनकी ड्यूटी पानी के टैंकर पर लगी हुई है। उस पर जा रहा हूं और फोन काट दिया। उसके कुछ ही देर बाद यूनिट से फोन आया कि आपके पति उग्रवादी हमले में शहीद हो गए हैं। इतना सुनते ही पत्नी और बेटा चिल्लाने लगे। चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण इकट्ठे हो गए। शहीद अपने पीछे पत्नी और तीन बेटे छोड़ गए हैं। शहीद का बड़ा बेटा बबलू एनडीआरएफ में तैनात है।दूसरा बेटा किसानी करता है, जबकि तीसरा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है।
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद के परिवार को सांत्वना राशि के रूप में 50लाख रुपये, एक बेटे को नौकरी एवं उनके गांव की सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर करने की घोषणा की है।

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