- नियमित टीकाकरण को लेकर एएनएम को दिया प्रशिक्षण
- लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत बच्चों व गर्भवती का टीकाकरण सुनिश्चित कराएं एएनएम
औरैया। नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराएं। टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवार को प्रेरित कर बच्चों व गर्भवती का टीकाकरण सुनिश्चित कराएं। घनी व मलिन बस्तियों, दूर दराज के क्षेत्रों, घुमंतू परिवारों के बच्चों का टीकाकरण करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोत्साहित करें क्योंकि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में से एक है नियमित टीकाकरण। यह बातें शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ सुनील कुमार वर्मा ने राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे एएनएम प्रशिक्षण के दौरान कहीं।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित सभागार में चल रहे प्रशिक्षण को सम्बोधित करते हुए सीएमओ ने एएनएम को टीकाकरण का महत्व समझाया साथ ही इसे प्रभावी बनाने को दिशा निर्देश दिये। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 16 एएनएम को प्रशिक्षित किया गया है । प्रशिक्षण के दौरान नियमित टीकाकरण से संबधित बेसिक जानकारी, टीकाकरण के दौरान क्या-क्या सावधानी बरतनी है, किन बच्चों को कौन-कौन टीका दिया जाना, ड्यूलिस्ट तैयार करने डेटा अपलोड करने आदि कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यक्रम के पहले उसके बारे में जानकारी बहुत जरूरी है।
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मुख्य प्रशिक्षक एवं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने कहा कि गांवों की तुलना में नगरीय इलाके में व्यवस्थित व बेहतर रणनीति बनाने की बेहद आवश्यकता है। नगर की सभी पीएचसी, वार्ड व मोहल्ला के अनुसार एएनएम का क्षेत्र तय किया जाएगा। घर-घर जाकर हेड काउंट सर्वेक्षण हो। इसके बाद बच्चों व गर्भवती की ड्यू लिस्ट तैयार की जाए। टीकाकरण से छूटे बच्चे व गर्भवती को ट्रैक किया जाए। बुधवार व शनिवार को होने वाले नियमित टीकाकरण सत्र व छाया नगरीय स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (यूएचएसएनडी) सत्रों तक बच्चों व गर्भवती को लाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की ओर से घर-घर भ्रमण कर एवं पारस्परिक संपर्क कर सूचना दी जाएगी। आशा कार्यकर्ताओं की ओर से घर-घर बुलावा पर्ची वितरित कर टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाए।
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इस दौरान यूनिसेफ के डीएमसी नरेंद्र शर्मा व यूएनडीपी के वीसीसीएम सतेंद्र सिंह ने टीकाकरण की समय सारणी, सत्रों का प्रबंधन तथा टीकाकरण में सुरक्षित सूई की तकनीक, कार्ययोजना बनाना, रिपोर्टिंग व फाइल रखने की विधि को बताया गया। उन्होंने संचार गतिविधियों से अवगत कराया। टीकाकरण को बढ़ाने और समुदाय को जागरूक करने पर विस्तार से जानकारी दी । कहा कि जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों में बाहरी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसलिए जन्म पर बर्थ डोज़ के साथ ही डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह, नौ माह पर, 16 से 24 माह मे और पाँच वर्ष पूर्ण होने पर सभी टीकेसमय से लगवाएँ।
इसके अलावा 10 व 16 वर्ष की आयु पर (टिटनेस-डिप्थीरिया) टीडी का टीका जरूर लगवाएँ। उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाये जाते हैं जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, हेपेटाइटिस-बी, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी, निमोनिया, डायरिया रोटा वायरस और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल हैं। गर्भवती को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाता है।