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मोदी ने श्लोकों से किया काशी की महिमा का बखान

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मोदी ने श्लोकों से किया काशी की महिमा का बखान
मोदी ने श्लोकों से किया काशी की महिमा का बखान

वाराणसी। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर के लोकार्पण समारोह में काशी के माहात्म्य का वर्णन करते हुए संस्कृत श्लोकों और भारतीय भाषाओं की कविताओं को उद्धृत किया।
मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ अष्टकम में भगवान् शिव, गौरी और गंगा की महिमा का वाचन करते हुये कहा, “गंगा तरंग रमणीय जटा-कलापम्, गौरी निरंतर विभूषित वाम-भागम्नारायण प्रिय-मनंग-मदाप-हारम्, वाराणसी पुर-पतिम् भज विश्वनाथम्।”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भगवान विश्वनाथ की मर्जी के बिना काशी आगमन को असंभव बताने वाले श्लोक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ‘काशीखण्ड’ में भगवान शंकर ने खुद कहा है “विना मम प्रसादम् वै, कः काशी प्रति-पद्यते”। अर्थात्, बिना मेरी प्रसन्नता के काशी में कौन आ सकता है, कौन काशी के प्रसाद का सेवन कर सकता है? उन्होंने कहा “शिवम् ज्ञानम् इति ब्रयुः, शिव शब्दार्थ चिंतकाः”। अर्थात् शिव शब्द का चिंतन करने वाले लोग शिव को ही ज्ञान कहते हैं।

काशी में मानव समता की भावना का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा,“हमारे शास्त्रों का वाक्य है- “दृश्यते सवर्ग सर्वै:, काश्याम् विश्वेश्वरः तथा”॥ यानी, काशी में सर्वत्र, हर जीव में भगवान विश्वेशर के ही दर्शन होते हैं। “विश्वेशं शरणं, यायां, समे बुद्धिं प्रदास्यति”। अर्थात्, भगवान विश्वेशर की शरण में आने पर सम बुद्धि व्याप्त हो जाती है। साथ ही प्रधानमंत्री ने काशी में अहंकार से मुक्ति का भी सन्देश मिलने की बात कहते हुये कहा, “इदम् शिवाय, इदम् न मम्” (सब कुछ शिव का है। मेरा कुछ नहीं)

इस दौरान मोदी ने दक्षिण भारत के लोगों की काशी के प्रति आस्था का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा काशी पर और काशी का दक्षिण पर प्रभाव भी हम सब भली-भांति जानते हैं। एक कन्नड़ ग्रंथ में लिखा है, “तेनो-पयाथेन कदा-चनात्, वाराणसिम पाप-निवारणन। आवादी वाणी बलिनाह, स्वशिष्यन, विलोक्य लीला-वासरे, वलिप्तान।” अर्थात,जब जगद्गुरु माध्वाचार्य जी अपने शिष्यों के साथ चल रहे थे, तो उन्होंने कहा था कि काशी के विश्वनाथ, पाप का निवारण करते हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को काशी के वैभव और उसकी महिमा के बारे में भी समझाया।

प्रधानमन्त्री ने कहा कि महाकवि सुब्रमण्य भारती, काशी प्रवास ने जिनके जीवन की दिशा बदल दी, उन्होंने एक जगह तमिल में लिखा है, “कासी नगर पुलवर पेसुम उरई दान, कान्जिइल के-पदर्कोर, खरुवि सेवोम” यानि “काशी नगरी के संतकवि का भाषण कांचीपुर में सुनने का साधन बनाएंगे” यह संदेश काशी से ही निकला। यह इतना व्यापक है, कि देश की दिशा बदल देता है।

उन्होंने देश की सप्तपुरियों ‘अयोध्या मथुरा माया, काशी कांची अवंतिका’और 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारे यहाँ तो द्वादश ज्योतिर्लिंगों के स्मरण का ही फल बताया गया है- “तस्य तस्य फल प्राप्तिः, भविष्यति न संशयः।।”

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