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सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत

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  • प्लाज्मा डोनेशन से कोविड मरीजों के इलाज में मदद- कुलपति प्रो0 राजकुमार
  • प्लाज्मा डोनेशन का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं- कुलपति

इटावा: सैफई उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के ब्लड बैंक एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन द्वारा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु नई पद्धति प्लाजमा थेरेपी की शुरूआत की गयी है। इसके लिए कोई भी व्यक्ति जो कोरोना से ग्रसित होकर स्वस्थ हो चुका है और उसकी कोरोना की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है तीन सप्ताह के भीतर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। यह जानकारी विश्वविद्यायल के कुलपति प्रो डॉ राजकुमार ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित स्वस्थ हुए मरीज, चाहे वह किसी भी वर्ग, समुदाय से हों, प्लाज्मा डोनेट के लिए आगे आयें। विश्वविद्यालय में प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क एवं प्रतिदिन चैबीस घंटे उपलब्ध है।

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जिसमें डोनर की एण्टीबाडीज टेस्टिंग व जरूरी जाॅचे विभाग द्वारा पूर्णत्या निःशुल्क की जायेगी। इसके लिए कोई भी कोरोना से ठीक हुआ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच है विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक प्रभारी अथवा चिकित्सा अधीक्षक से सम्पर्क कर सकता है। इसके लिए वह ब्लड बैंक के प्लाज्मा डोनेशन सम्पर्क नम्बर 9454307273 पर भी सम्पर्क कर सकता है। इस थैरेपी का इस्तेमाल विदेशों में जिसमें चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका में किया जा रहा है। भारत में भी इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस प्रयोग को मंजूरी दे दी है तथा देश के कुछ प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में इसको शुरू किया गया है।

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उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना से जंग जीत चुके कोरोना वारियर्स अन्य कोरोना संक्रमित लोगों के लिए आगे बढकर स्वेछा से प्लाज्मा डोनेट करें। प्लाज्मा डोनेशन का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि आप दूसरे कोविड संक्रमित मरीज को ठीक होने में सहयोग करते हैं।
प्रतिकुलपति डा रमाकान्त यादव ने बताया कि कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए लोगों के खून में एंटीबाॅडीज बन जाती हैं, जो उसे संक्रमण को मात देने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबाॅडीज, प्लाज्मा डोनर यानी संक्रमण को मात दे चुके व्यक्ति के खून से निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक हो।

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प्लाज्मा चढ़ाने का काम विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोराना संक्रमण से ठीक हुआ कोई भी व्यक्ति क्वारेंटाइन पीरियड खत्म होने के तुरन्त बाद प्लाज्मा डोनर बन सकता है। ब्लड बैंक प्रभारी डा अभय सिंह ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से अत्यंत गंभीर कोरोना मरीजों को शीघ्र स्वस्थ होने में लाभदायक होता है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा दान के पश्चात् किसी प्रकार की कमजोरी, खून की कमी व इम्यूनिटी में कमी नहीं होती है।  

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