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फर्रुखाबाद के इस मंदिर में शराब से होती है पूजा

फर्रुखाबाद के इस मंदिर में शराब से होती है पूजा

फर्रुखाबाद | वैष्णो माता दरबार और काशी की फर्रुखाबाद में भी भैरव बाबा अपने स्वरूप में विराजमान हैं। यहां पर काली माता की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले काल भैरव के नाम में काल का मतलब है मृत्यु, भय और अंत, जबकि भैरव का अर्थ है जिसे डर पर जीत हासिल हो। मान्यता है कि काल भैरव का पूजन करने से मृत्यु का डर दूर होता है और दुखों से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर में हजारों भक्त रोजाना आते हैं और भैरव बाबा के दर्शन करते हैं। यह मंदिर विश्रान्त घाट समीपवर्ती बना हुआ है। शनिवार, मंगलवार और रविवार को विशेष रूप से भक्तगण यहां आते हैं।

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विश्रान्त घाट समीपवर्ती मशहूर भैरव मंदिर पर प्रत्येक रविवार को बड़ी संख्या में भैरव श्रद्धालु की भीड़ पूजा अर्चना के लिए आती है वही पूर्णिमा व अमावस्या तथा गंगा दशहरा आदि स्नान पर्वों पर भी गंगा श्रद्धालुओं द्वारा गंगा में डुबकी लगाने के लिए यहां एकत्र होते हैं। मंदिर के पुजारी पंकज शुक्ला ने बताया कि यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है। इसका सबसे बड़ा इतिहास यह है कि भक्त आस्था से जो भी मनोकामना लेकर आता है वो जरूर पूरी होती है। उन्होंने कहा यहां मंगलवार और शनिवार को भक्तों की अधिक भीड़ होती है। सात रविवार लगतार इस मंदिर में आने से भगतो की हर मनो कामना पूर्ण होतीहै। रविवार को बाबा को विशेष भोग लगता है भोग में उन्हें मदिरा,काली दाल के दही बड़े का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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इस मंदिर में दर्शन करने से हर समस्या दूर हो जाती है। पुजारी जी का कहना है बाबा के नाम से अगर झण्डा लगाया जाता है तो शारिरिक समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है। मंदिर में बाबा भैरव नाथ की मूर्ति के साथ-साथ सभी भगवानों की प्रतिमा है वहीं दुर्गा माता, हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा मंदिर में स्थापित की गई है। मंदिर में भक्तगण बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं उसके बाद सभी के दर्शन करते हैं। साल में अगहन कृष्ण पक्ष अष्ठमी को विशाल हवन होता है और इस हवन में दूर-दूर से लोग अपनी पूर्ण आहुति देने जरूर आते हैं। आसपास के जिलों के लोग भी इस मंदिर में आते हैं। हवन होने के बाद यहां विशाल भंडारा भी होता है. विशाल भंडारे में लोग जगह-जगह से आकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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