चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी-मद्रास) के सहयोग से सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल शुरू करने जा रही है जिसके तहत सड़क दुर्घटनाएं कम करने, ब्लैक स्पॉट का पता लगाने और दुर्घटनाओं में घायलों को गोल्डन ऑवर के दौरान उपयुक्त चिकित्सा मुहैया कराने के कदम उठाये जाएंगे। इस योजना को लेकर पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) शत्रुजीत कपूर की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक हुई जिसमें जिन स्थानों पर सड़क दुर्घटनाएं अधिक होती हैं और जो ब्लैक स्पॉट के नाम से जाने जाते हैं उनके कारणों का पता लगाते हुए सम्बंधित विभागों के साथ तालमेल कर सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना के उपरांत सबसे ज्यादा जरूरी है कि घायल व्यक्ति को ‘गोल्डन ऑवर’ अर्थात जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए ताकि उसकी जान बचाई जा सके।
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उन्होंने कहा कि अस्पतालों की इस संदर्भ रेटिंग की जाएगी। जिस अस्पताल में घायल व्यक्ति का सर्वाइवल रेट जितना अधिक होगा उसे उतनी ही अच्छी रेटिंग और जहां घायल की मृत्यु का आंकड़ा अधिक होगा उसकी रेटिंग कम होगी। यह समस्त प्रक्रिया मोबाइल ऐप ‘संजया’ से कनेक्ट होगी। इस ऐप पर जिले के बड़े मार्गों, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग तथा अन्य सड़कों का मैप जोड़ा जाएगा। इसके अलावा राज्य के सभी अस्पतालों तथा एम्बुलेंस का डाटा भी इस ऐप में उपलब्ध होगा।
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बैठक में सितंबर माह के दौरान हुई सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक-ट्रैफिक हरदीप दून को राज्य की सड़कों पर अलग-अलग स्थानों पर आवश्यकतानुसार स्पीड लिमिट सेट करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये। बैठक में इस तथ्य पर भी चर्चा हुई कि गत कुछ वर्षों में वाहनों की संख्या काफी बढ़ी है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा गत वर्ष की अपेक्षा कम है।
बैठक में यह बात भी सामने आई कि सड़क दुर्घटनाओं में ज्यादातर लोगों की मृत्यु सिर में चोट लगने से होती है। ऐसे में यह जरूरी है कि आसपास के क्षेत्र में स्थित ट्रॉमा सेंटर परस्पर समन्वय स्थापित करते हुए काम करें। श्री कपूर ने कहा कि सड़क दुर्घटना को लेकर इस तंत्र से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की जवाबदेही तय की जाएगी। किसको कैसे काम करना है और क्या काम करना है, इस बारे में स्पष्ट किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य के अस्पतालों, एम्बुलेंसों और उनके चालकों तथा ब्लड बैंकों को भी इससे जोड़ा जाएगा। घायल व्यक्ति की सूचना मिलने के उपरांत उसे अस्पताल ले जाने तथा उसका उपचार शुरू होने तक की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी।