Home देश भक्तों के विशेष प्रेम के कारण अवतरित होते हैं भगवान : परमपूज्य चिन्मयानंद बापू

भक्तों के विशेष प्रेम के कारण अवतरित होते हैं भगवान : परमपूज्य चिन्मयानंद बापू

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भक्तों के विशेष प्रेम के कारण अवतरित होते हैं भगवान : परमपूज्य चिन्मयानंद बापू

भक्तों के विशेष प्रेम के कारण अवतरित होते हैं भगवान : परमपूज्य चिन्मयानंद बापू

नोएडा: महर्षि आश्रम, सेक्टर-110, नोएडा, स्थित रामलीला मैदान में ब्रह्मलीन परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी की दिव्य प्रेरणा से राष्ट्र की समृद्धि, शांति और विकास के लिए ‘श्री विष्णु महायज्ञ’ के साथ परमपूज्य चिन्मयानंद बापू जी के श्रीमुख से चतुर्थ दिवस कथा का रसपान करते हुए श्रद्धालु पुण्य के भागीदार बनें । इस अवसर पर जगत गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज एवं ट्रस्टी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या जी द्वारा शुभ आशीर्वाद स्वरूप भगवान श्री कृष्ण जी जन्म कथा सुनाते हुए कहा कि जो काल से परे है, जो समय के बंधन में नही है, वह प्रकट होने जा रहा है। अर्थात स्वयं नारायण अद्भुत बालक के रूप में प्रकट हो रहे हैं। रामलीला मैदान, महर्षि आश्रम, महर्षि नगर, नोएडा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में चतुर्थ स्कंध में ध्रुव जी महाराज का चरित्र कथा सुनाते हुए कहा कि – ध्रुव जी ने मात्र छः वर्ष की आयु में भगवान को पा लिया । मानो भागवत कथा हमें यह सिखाती है, कि यदि हमें ईश्वर को पाना है, तो उसमें उम्र का महत्व नहीं होता है । बल्कि भाव और आपके प्रेम का महत्व होता है । यदि आपने सच्चे मन से ईश्वर को याद किया । आप का भाव और मन पवित्र है, तो भगवान भी मिलने में देर नहीं लगाते हैं, तत्क्षण भगवान आपको अपनी शरण में ले लेते हैं । ध्रुव जी महाराज की चरित्र से एक शिक्षा हमें

यह भी मिलती है कि हम भी अपने बच्चों को बालपन से ही संस्कारित करें । ईश्वर की कथाओं से जोड़े और ईश्वर से प्रेम करना सिखाए । बापूजी ने कहा कि जिस प्रकार दूध में दही छिपा रहता है, सिर्फ उसको प्रकट करना होता है, उसी तरह भगवान पूरे संसार में व्याप्त हैं, भक्तों के प्रेम मात्र से उनको प्रकट किया जाता है । जब मां देवकी और वासुदेव जी जैसा प्रेम आपके अंदर होता है, तो ईश्वर को बुलाना नहीं पड़ता, वे स्वयं अवतरित हो जाते हैं । आगे बापूजी ने कहा कि पंचम स्कंध में जड़ भरत की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक भूल के कारण जड़ भरत जी को तीन जनम तक उन्हें भटकना पड़ा । लेकिन परमात्मा के श्री चरणों में उनका प्रेम बना रहा । जिसके कारण तीन जनम के पश्चात वह मुक्त हो गए । बाद में वामन भगवान और राम अवतार की कथा सुनाते हुए श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूम-धाम से मनाया गया । कथा परिसर श्रोताओं की भारी भीड़ के साथ पूरा भरा हुआ था और श्रोताओं का अपार प्रेम कथा के प्रति देखने को मिला । कल कथा के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का रस-पान कराया जाएगा\

 इस अवसर पर जगत गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज एवं ट्रस्टी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या का सम्मान श्री विष्णु महा यज्ञ, आयोजन समिति और कथा परिसर में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं द्वारा किया गया। इस पावन और पवित्र कार्यक्रम श्री विष्णु महायज्ञ और श्रीमद्भागवत कथा के प्रणेता श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव- अध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान, एवं कुलधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी, श्री राहुल भारद्वाज- उपाध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान, श्रीमती अदिति दीदी, श्री पंकज शर्मा – सह संरक्षक, आयोजन समिति, श्री राजीव अरोड़ा, श्री अशोक जी, श्री वीरेंद्र मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार), श्री वेद प्रकाश शर्मा, श्री आचार्य विपिन जी, श्री आचार्य जगन्नाथ मिश्र (ज्योतिषचार्य), श्री रमाशंकर लाल श्रीवास्तव, श्री कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, श्री शिवम यादव (न्यूज़ एंकर), श्री शम्भू शरण गुप्ता, श्री राम बाबू मालवीय (ज्योतिषाचार्य), श्री रवि प्रधान, श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव, श्री राजेश मिश्रा, पं. सतीश भट्ट (यज्ञाचार्य) श्री गिरीश अग्निहोत्री, श्री रामेन्द्र सचान- संयोजक, आयोजन समिति, एवं महर्षि परिवार के सैकड़ों श्रद्धालु और क्षेत्रवासियों ने कथा का श्रवण कर लाभ प्राप्त करते हुए भाव-विभोर हुए।

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