फर्रुखाबाद । पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही वारिस से गंगा नदी ने विकराल रूप ले लिया है। फर्रुखाबाद जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बसे गांव नगला खैम रैगाई के लोग इस समय मौत के मुहाने पर बसे हुए है। जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से न लिया तो किसी भी समय गांव गंगा में समा सकता है। गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने से नगला खेम रैगाई के बाशिंदों की नीद उड़ी हुई है। सिंचाई विभाग द्वारा 3 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी कटान नहीं रुक रहा है। कटान रोकने के नाम पर एक करोड़ खर्च होने के बाद भी कटान नहीं रुक रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नही है। गांव वालों का कहना है कि ग्राम प्रधान की लापरवाही से मकान गिर रहे है।
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बता दें कि, नरौरा बांध से लगातार छोड़े जा रहे पानी से गंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गंगा नदी नगला खैर रैगाई के मकानों तक पहुंच गई है। जिससे नगला खेम रैगाई के बाशिंदों की नीद उड़ी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक शिकायत दर्ज करा चुके है। जनप्रतिनिधि केवल वोट मांगने के लिए आते है। उसके बाद आज तक किसी ने आना मुनासिब नहीं समझा। समूचा गांव के लोग मौत के मुहाने पर पहुंच गए है। गंगा का कटान गांव की तरफ होने की वजह से दर्जनों मकान गंगा नदी में समाने वाले है। जब गांव के बाशिंदों से पूछा गया कि वह अपने और परिवार की जिंदगी को खतरे में क्यों डाले हुए है।
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गांव खाली क्यों नहीं कर रहे है। ग्रामीण बोले उन्हें किसी तरह की प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है। आखिर वह जाए तो कहां जाए। रहने के लिए जिला प्रशासन जगह दे देगा तो वह जाने के लिए तैयार है।उन्होंने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आज पूरा गांव मौत के मुहाने पर पहुंच गया है। गांव को बचाने की कवायद केवल कागज़ पर खानापूर्ति की जा रही है। कटान रोकने के लिए कुछ दिन पहले सिंचाई विभाग ने एक करोड़ रुपये खर्च किए। कटान रोकने के नाम पर ग्रामीणों की जिंदगी से खिलवाड़ कर अधिकारी कागजों में कटान रुका दिखा कर पैसा खर्च कर रहे है। जिससे समूचा गांव कभी भी गंगा में समा सकता है।