- वैक्सीन की डोज के परीक्षण में मिली सफलता
- भारतीय वैक्सीन के दिसम्बर तक बाजार में आने की उम्मीद
रोहतक: विश्व के अन्य देशों के साथ भारत भी कोरोना की वैक्सीन की खोज में लगा हुआ है । प्रारंभिक दौर में उसे सफलता भी मिल रही है । कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिशों में बड़ी कामयाबी मिली है। कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का प्रथम फेज सफल रहा है। पीजीआइ के चिकित्सकों ने अब सेफ्टी कंट्रोल बोर्ड की अनुमति के बाद प्रथम फेज के पार्ट टू में छह लोगों को डोज दी है। पहले पार्ट में 20 लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई थी और इनमें से छह लोगों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक पाया गया है। अन्य लोगों की रिपोर्ट का इंतजार है। अब 25 और लोगों को डोज देने की तैयारी है। अगले सप्ताह पहले पार्ट में वैक्सीन देने वाले लोगों को दूसरी डोज देने की भी तैयारी शुरू कर दी गई है।
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पीजीआइएमएस में 17 जुलाई को कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हुआ था। ट्रायल के लिए फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डा. सविता वर्मा को प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. रमेश वर्मा व पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. ध्रुव चौधरी को सहायक इंवेस्टीगेटर नियुक्त किया गया था। ट्रायल के दौरान डीसीजीआइ (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) के निर्देश पर पहले चरण में देश भर में 50 लोगों के सापेक्ष 20 लोगों को पीजीआइ में वैक्सीन की डोज दी गई थी। वैक्सीन देने के बाद सभी वालंटियर्स की सेहत ठीक है।
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इसकी रिपोर्ट चिकित्सकों ने सेफ्ट्री कंट्रोल बोर्ड व डीसीजीआइ को भेजी थी। सेफ्ट्री कंट्रोल बोर्ड की ओर से वैक्सीन को सुरक्षित घोषित करते हुए ट्रायल को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी गई है। अब चिकित्सकों ने पहले फेज के दूसरे पार्ट के तहत ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अब देश भर के 12 संस्थानों में 325 लोगों को वैक्सीन की डोज दी जानी है। पीजीआइएमएस के चिकित्सकों को 30 लोगों को डोज देनी है। इनमें से करीब 20 वालंटियर्स के स्वास्थ्य की जांच की गई है। पूरी तरह से स्वस्थ पाए जाने पर छह लोगों को डोज दी गई है, जबकि 10 लोगों की स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट का इंतजार है। फेज वन के पार्ट वन में सफलता से चिकित्सकों को उम्मीद है कि वैक्सीन आगे भी सुरक्षित रहेगी और साल के अंत तक लोगों के लिए उपलब्ध हो सकती है।