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“मेरा विद्यालय – मेरी पहचान” को सच कर दिखाया इटावा की शिक्षिका रेनू ने ,विद्यालय बदला एजुकेशन पार्क में

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“मेरा विद्यालय - मेरी पहचान” को सच कर दिखाया इटावा की शिक्षिका रेनू ने ,विद्यालय बदला एजुकेशन पार्क में

“मेरा विद्यालय – मेरी पहचान” को सच कर दिखाया इटावा की शिक्षिका रेनू ने ,विद्यालय बदला एजुकेशन पार्क में

  • शिक्षा के साथ सिलाई – कढ़ाई सिखाकर बच्चियों का बढ़ाया आत्मबल

इटावा। शिक्षा किसी के भी जीवन को बदल सकती है और उम्मीदों के पंख से नई उड़ान भरी जा सकती है| उच्च प्राथमिक विद्यालय लुधियानी महेवा (इटावा) की शिक्षिका रेनू ने यह कर दिखाया। रेनू वर्ष 1997 से शिक्षण कार्य से जुड़ी हैं और वह शुरू से ही बच्चों को शिक्षा के साथ अन्य गतिविधियों से जोड़कर विभिन्न प्रकार के विषयों का ज्ञान खेल-खेल में सिखाने में रुचि रखती हैं। इसीलिए उनके निजी प्रयासों से उन्होंने विद्यालय को एक एजुकेशन पार्क में बदल दिया है जिसकी चर्चा पूरे जनपद में हो रही है।

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शिक्षिका रेनू ने बताया – जब से मैंने शिक्षण कार्य शुरू किया तब उन्हीं के साथी शिक्षक और विद्यालय के हेड उदय नारायण ने उन्हें सीख दी कि गरीब बच्चों को लगन से पढ़ाना | यह बात मेरे मन में घर कर गई। मैं अपना काम निष्ठा पूर्वक उनके निर्देशन में करने लगी। ग्रामीण बच्चों को पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा के साथ-साथ स्वच्छता, जागरूकता कार्यक्रम और ज्ञानवर्धक चर्चाओं में सहभागिता खेल के माध्यम से कराकर बच्चों पर ध्यान देना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि मेरे विद्यालय के बच्चे जनपद में ही नहीं राज्य स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने लगे | रेनू ने बताया वर्ष 2020 में इंस्पायर अवार्ड के लिए बच्चों का चयन राज्य स्तर पर हुआ और वर्ष 2021 में भी बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन किया।

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रेनू ने बताया कि विद्यालय के सभी अध्यापकों द्वारा मेरा सहयोग किया जा रहा है और आज विद्यालय बेहतर प्रदर्शन कर रहा है | इसमें उन सभी की मेहनत का बहुत बड़ा योगदान है। इसीलिए राज्य स्तर पर ‘मेरा विद्यालय मेरी पहचान’कार्यक्रम के लिए मेरा चयन राज्य स्तर पर हुआ है। यह मेरे लिए तो गर्व की बात है ही बल्कि मेरे विद्यालय के लिए भी।वह बताती हैं जब मेरे पास हेड मास्टर का चार्ज आया तब स्कूल में 148 बच्चे थे और वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 256 हो चुकी है | इसका कारण है बच्चों को रचनात्मक रूप से शिक्षा प्रदान करना और कंपोजिट राशि का सही जगह सही तरह से इस्तेमाल करना।

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रेनू बताती हैं कि उनके द्वारा वर्ष 2007 से विद्यालय में मीना मंच के आयोजन के तहत कक्षा छह से आठ की बच्चियों को सिलाई कढ़ाई भी सिखाई जा रही है, जिससे वह शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर बनें और अपनी रूचि के अनुसार बेहतर प्रदर्शन करें | कई बच्चियों ने सिलाई कढ़ाई सीख कर अपने हुनर से अपने घर वालों को भी प्रभावित किया है । रेनू का कहना है कि मुझे बचपन से सिखाया गया कि शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक गुणों का विकास होना आवश्यक है | शायद अपने माता-पिता और ताई के निर्देशन में जो बचपन में सीखा वह आज व्यावहारिक रूप में बच्चों को दे पा रही हूं। पारिवारिक सहयोग हमेशा मेरे साथ रहा, पति और बच्चे प्रोत्साहन करते रहते हैं जिससे कुछ बेहतर कर पाती हूं।

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