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पंचनद किनारे हुआ चंबल का पहला ‘कटहल फेस्टिवल’,

पंचनद किनारे हुआ चंबल का पहला 'कटहल फेस्टिवल',

पंचनद किनारे हुआ चंबल का पहला ‘कटहल फेस्टिवल’,

इटावा । पंचनद घाटी,यानी पांच नदियों का संगम,पांच नदियों के इस संगम पर ‘चंबल कटहल फेस्टिवल’ का आयोजन हुआ।ये पहला मौका था जब नदियों के इस संगम के किनारे कटहल फेस्टिवल का आयोजन हुआ,न सिर्फ कटहल के बारे में,बल्कि कटहल के उत्पादन के बारे में भी लोगों ने जानकारी ली।इसके साथ ही,पंचनद में बाहर से आए लोगों ने राफ्टिंग का मज़ा भी लिया,सुबह योगा कराया गया। कई सैलानी पंचनद के किनारे रात में कैम्पिंग करते हुए रुके भी,चंबल फाउंडेशन चंबल घाटी की सकारात्मक पहचान विश्व के सामने लाने की लगातार कई वर्षों से भागीरथ प्रयास कर रहा है। चंबल की खूबसूरती को निहारने दूरदराज से सैलानी आ रहे हैं।

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चम्बल कटहल फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सुमित प्रताप सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस फेस्टिवल की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी,चम्बल के कटहल के लजीज खानों का लुत्फ़ लेने के लिए विदेशी सैलानी खिंचे चले आएंगे,चंबल कटहल फेस्टिवल में कई प्रदेशों से लाए गए कटहलों की प्रदर्शनी लगाई गई।जहां चंबल के बीहड़ में पैदा हुआ सबसे बड़े साइज का कटहल देखने के बाद दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली।

पंचनद किनारे हुआ चंबल का पहला ‘कटहल फेस्टिवल’,

वहीं थाईलैंड के रंगीन कटहल ने लोगों में रोमांच भर दिया,पूरे विश्व में कटहल की मांग को देखते हुए बीहड़वासियों से इसका पौधा लगाने की अपील की गई।दरअसल ब्रिटिश काल में चम्बल में बड़े पैमाने पर कटहल की खेती होती थी।हत्या जैसे संगीन जुर्म में कटहल के पांच पेड़ों पर जमानत मिल जाती थी, हैरानी की बात है कि चम्बल घाटी में पका कटहल नहीं खाया जाता है, जबकि केला और अनानास के स्वाद जैसा पका कटहल खाने का देश में खूब चलन है।

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पंचनद योग महासंगम की संयोजिका स्वेच्छा दीक्षित ने प्राकृतिक माहौल में योगा के विविध आसन कराकर जान फूंक दी, पंचनद से उठती ताजी हवाओं ने तरोताज़ा कर दिया,पांच नदियों के संगम तट पर यह मंज़र अपने आप अनोखा था।पांच नदियों के संगम के नजदीक दस्यु सरगना रहे सलीम गुर्जर उर्फ पहलवान के गांव के नजदीक सिंध नदी में राफ्टिंग की गई।सिंध नदी की धार राफ्टिंग मुफ़ीद है जो रोमांच से भर देती है। चम्बल परिवार प्रमुख शाह आलम राना ने कहा कि सिंध नदी में राफ्टिंग के सफल प्रयोग से यह इतिहास में सूबे की पहली राफ्टिंग के लिए जानी जाएगी।

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