इटावा। उत्तर प्रदेश की इटावा सफारी पार्क की भालू सफारी में गुरुवार की दोपहर नर भालू ‘भोलू’ की मौत हो गई। इटावा सफारी पार्क की निदेशक श्रीमती दीक्षा भंडारी ने नर भालू की मौत की पुष्टि करते हुए यह जानकारी दी। सफारी की निदेशक दीक्षा भंडारी ने बताया कि गुरुवार की सुबह यह पाया गया कि भालू अपने आगे के पैरों से भी चलने में असमर्थ है और उसके शरीर पर पैरालिसिस का असर है। सफारी प्रशासन ने बताया है कि सघन इलाज व निगरानी के बावजूद इस भालू की आज दोपहर 12 बजे मृत्यु हो गयी। इसके शव को पोस्टमार्टम के लिए मथुरा भेजा गया है।
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उन्होंने बताया कि मौत का शिकार बना यह भालू 13 साल का था। नर भालू 6 मार्च 2017 को भगवान बिरसा मुण्डा बायोलॉजिकल पार्क, रांची, झारखण्ड से नबाव वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ लाया गया था। वहां से 3 अप्रैल 2017 को इटावा सफारी पार्क में लाया गया था। सफारी में आने के बाद यह भालू क्रोनिक हैपेटाइटिस एवं टीबी से ग्रसित पाया गया था। सितम्बर 2017 में टीबी की जांच में पुन: पॉजीटिव पाया गया, लगातार इलाज किया जाता रहा। कल 27 सितम्बर को भालू के पिछले पैरों से खड़े हो पाने की समस्या देखी गयी जिसका इलाज सफारी पार्क के पशु चिकित्सकों ने शुरु किया। इसकी सतत निगरानी भी रखी गयी।
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सफारी में 8 जुलाई से लेकर अब तक 10 वन्यजीवों की मौत हो चुकी है इनमें शावक, तेंदुआ, भालू व चीतल शामिल हैंं। यहां इटावा सफारी पार्क में भालू सफारी भी बनाई गई है। इसमें रखे जााने के लिए शुरुआती दौर में चार भालू लाए गए थे लेकिन सफारी को पर्यटकों केलिए खोले जाने से पहले ही इनमें से एक नर भालू शंकर की मौत 24 दिसम्बर 2017 को हो गई थी। इसके बाद जब 25 नवम्बर 2019 में सफारी को पर्यटकों के दीदार के लिए खोला गया तो पर्यटकों को भालू सफारी में तीन भालुओं के दीदार कराए गए। यह सिलसिला पिछले महीने तक चलता रहा लेकिन 12 अगस्त को मादा भालू कुनी की मौत हो गई। अब इटावा सफारी पार्क में सिर्फ एक भालू कालिया बचा है और भालू सफारी इसी के भरोसे चलेगी।