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आयुर्वेदिक दवाओं से बच्चों के शरीर पर नहीं पड़ता कोई भी प्रतिकूल प्रभाव – डॉ पूनम गौर

आयुर्वेदिक दवाओं से बच्चों के शरीर पर नहीं पड़ता कोई भी प्रतिकूल प्रभाव - डॉ पूनम गौर

आयुर्वेदिक दवाओं से बच्चों के शरीर पर नहीं पड़ता कोई भी प्रतिकूल प्रभाव – डॉ पूनम गौर

इटावा। बरसात के मौसम में अक्सर बच्चे बीमार पड़ जाते हैं | उनमें सर्दी, खांसी, बुखार जैसी सामान्य दिक्कतें देखी जाती हैं | इसका प्रमुख कारण है बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में कमी। आयुर्वेद के अनुसार मानसून के दौरान बच्चों की उचित देखभाल की जाए तो उनको स्वस्थ रखा जा सकता है | यह कहना है राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की प्रभारी मेडिकल ऑफिसर डॉ पूनम गौर का। डॉ पूनम ने बताया कि बदलते मौसम में बच्चे सबसे ज्यादा सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार से ग्रसित होते हैं | इसके लिए तुलसी, अदरक अर्क शहद के साथ चिकित्सक के बताये अनुसार दवाएं दी जाएँ तो बच्चों की बुखार और सर्दी -जुकाम जैसी शिकायतें दूर होती हैं ।

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उन्होंने बताया – बरसात के मौसम में बच्चों के पेट से संबंधित समस्याएं भी अधिक होती हैं इसके लिए आयुर्वेद में कई कारगर दवाएं मौजूद हैं, जिसे चिकित्सक के बताये अनुसार लिया जा सकता है | इसके साथ ही इन दवाओं से बच्चे के शरीर पर किसी भी तरह का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। डॉ. पूनम ने बताया – त्रिकुट का सेवन भी मानसून में बच्चों के लिए फायदेमंद होता है | इसके अंदर सोंठ, ,पिपली, मरिच (काली मिर्च) का मिश्रण होता है जो बच्चों के अंदर प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और बच्चों को बीमारियों से दूर रखता है। उन्होंने बताया बच्चों को बुखार की दवा देने पर बुखार उतर जाता है और फिर से अगर बुखार आ जाता है तो गिलोय का काढ़ा इस मौसम में बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है लेकिन बच्चों की आयु और वजन के हिसाब से इसकी मात्रा निर्धारित होती है |

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इसलिए चिकित्सक के बताये अनुसार ही बच्चे को दवा दें | बच्चों को तैयार काढ़ें की मात्रा पांच साल के बच्चे को 5 एमएल. और 10 साल के बच्चे को 10 एमएल. दिन में तीन बार दें क्योंकि काड़ा कड़वा होगा इसलिए मिश्री का प्रयोग अवश्य करें। इस काढ़े से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी और कैसा भी बुखार हो वह दूर हो जाएगा। डॉ पूनम ने कहा माल्टेड पेय पदार्थ दूध के साथ हम बच्चों को देते हैं अगर इसकी बजाय हम शुरू से बच्चों को गुनगुने दूध के साथ च्यवनप्राश का सेवन करवाएं तो वह बेहतर होगा क्योंकि इसके अंदर कई आयुर्वेदिक बूटियों का सम्मिश्रण होता है जो रसायन द्रव्य के रूप में शरीर के अंदर इम्यूनिटी को बूस्ट करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

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च्यवनप्राश के नियमित सेवन से बच्चे सर्दी ,खांसी, जुकाम, बुखार कब्ज जैसी शिकायतों से भी दूर रहते हैं और मानसून में जल्दी संक्रमित नहीं होते।उन्होंने बताया – छोटे बच्चों को मानसून के मौसम में गुनगुना पानी, दूध,ताजा भोजन दें। बाहर का खाना बिल्कुल न दें और कटे फल सब्जियां और कच्ची सब्जियों का सेवन करने से बचें। उन्होंने बताया – राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में सुबह 8:00 बजे से 2:00 बजे तक ओपीडी संचालित होती है व निशुल्क आयुर्वेदिक दवा भी मिलती है | इसलिए जो अभिभावक अपने बच्चों को दिखाना चाहें वह अस्पताल में आकर निशुल्क इलाज का लाभ ले सकते हैं।

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