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भरथना वृद्धाआश्रम पर विश्व अल्जाइमर दिवस पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम

भरथना वृद्धाआश्रम पर विश्व अल्जाइमर दिवस पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम

भरथना वृद्धाआश्रम पर विश्व अल्जाइमर दिवस पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम

इटावा। भरथना स्थित हेल्थ यूथ फाउंडेशन संस्था व समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित वृद्ध आश्रम में बुधवार को विश्व अल्जाइमर दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम किया गया। जिसमें वृद्धावस्था में होने वाली अल्जाइमर समस्या के संदर्भ में सभी बुजुर्गों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
जिला अस्पताल की क्लीनिकल साइकाइट्रिक राजेश्री प्रजापति ने बताया कि अल्जाइमर डिमेंशिया रूप का ही एक प्रमुख कारक है। इस वर्ष विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम ‘आओ डिमेंशिया को जानें अल्जाइमर को जानें’ हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 19 से 25 सितंबर तक डिमेंशिया वीक के तहत जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जिससे सामुदायिक रूप से डिमेंशिया और अल्जाइमर के बारे में लोगों को सही जानकारी पहुंचाई जा सके।

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जिला मानसिक स्वास्थ्य ईकाइ में तैनात साइकाइट्रिक सोशल वर्कर दिलीप चौबे ने कार्यक्रम में बताया कि बढ़ती उम्र के साथ अल्जाइमर रोग होने का खतरा बढ़ता है इसलिए बुजुर्गों में अल्जाइमर रोग होने पर मस्तिक से संचालित क्रियाएं धीरे-धीरे अनियंत्रित होने लगती हैं। धीरे धीरे याददाश्त की कमी होने लगती है। समय, दिन की पहचान करना मुश्किल, अपनों को पहचानना मुश्किल हो, कोई सामान रख कर भूल जाना, वहम, भ्रम, चिड़चिड़ापन या रास्ता भटक जाना अल्जाइमर के लक्षण होते हैं। उन्होंने बताया कि यह एक तरह की भूलने की बीमारी है। जो सामान्यता 60 वर्ष की उम्र के आसपास होती है जिससे वृद्धों का जीवन अव्यवस्थित होने लगता है और उनका मानसिक संतुलन पूरी तरह से प्रभावित होता है।

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इसलिए जब भी वृद्ध अल्जाइमर से ग्रसित हो तो उन्हें उचित चिकित्सक की सलाह और प्रेम पूर्वक उनकी देखभाल करने से बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। वृद्ध आश्रम मैनेजर ऋषि कुमार ने बताया कि हमारे आश्रम में लगभग 65 वृद्ध लोग रहते हैं। आज आयोजित इस कार्यक्रम से मुझे तो बहुत अच्छी जानकारी मिली ही लेकिन हमारे वृद्धा आश्रम के परिवार में रहने वाले बुजुर्गों को भी बेहतर जानकारी प्राप्त हुई जो हम सबको लाभ पहुंचाएगी इसीलिए मैं सभी जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई को धन्यवाद। जिन्होंने हमारे यहां जागरूकता कार्यक्रम कर जानकारी दी।

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बुजुर्गों में डिमेंशिया या अल्जाइमर का जोखिम कम कर सकते हैं-

क्या है अल्जाइमर्स

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