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फर्रुखाबाद में सीएचसी परिसर में गत वर्ष से संचालित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्थाएं बदहाल

फर्रुखाबाद में सीएचसी परिसर में गत वर्ष से संचालित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्थाएं बदहाल

फर्रुखाबाद में सीएचसी परिसर में गत वर्ष से संचालित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्थाएं बदहाल

फर्रुखाबाद | सीएचसी परिसर में गत वर्ष से संचालित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्थाएं बदहाल हैं। गर्मी व गंदगी से छात्राएं बेहाल हैं। टंकी का दूषित पानी पीने से छात्राएं बीमार पड़ रहीं हैं। प्रभारी प्रधानाचार्य श्वेता भट्ट की दबंगई के चलते छात्राओं को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। छात्राएं सुविधाओं को लेकर आवाज उठाती है तो प्रभारी प्रधानाचार्य छात्राओं को फेल करने की धमकी देकर शांत कर देती है। शिकायत के बावजूद सीएमओ सुनवाई नहीं कर रहे हैं। 21.50 लाख रुपये खर्च कर तैयार किए गए एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की बदहाली से छात्राओं का भविष्य संकट में है। मानक पूरे न हुए तो सेंटर भी निरस्त हो सकता है। जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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फतेहगढ़ में एएनएम ट्रेनिंग सेंटर स्वास्थ्य विभाग की ही उपेक्षा का शिकार हो रहा है। कहने को तो इन दिनों संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है। इसमें सफाई के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा। हकीकत यह है कि सीएमओ कार्यालय के पास संचालित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में गंदगी का साम्राज्य है। यहां कई जनपदों की कुल 35 छात्राएं प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें 18 छात्राएं ट्रेनिंग सेंटर के हॉस्टल में रहती हैं। भोजन का खर्च स्वयं छात्राएं उठाती हैं। हालात यह हैं कि केंद्र के अंदर परिसर में बड़ी-बड़ी घास खड़ी है। टूटा फर्नीचर व कबाड़ लगा है। इसमें सांप निकलकर छात्राओं के कमरों तक पहुंच रहे हैं।छत पर बनी पानी की टंकी गंदी होने से दूषित पानी का ही छात्राओं को इस्तेमाल करना पड़ता है।

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टंकी में क्लोरीन तक नहीं डाली गई। शौचालय का टैंक चोक है। परिसर में गंदा पानी बहने से बदबू आ रही है। क्लास रूम से लेकर प्रैक्टिल रूम व हॉस्टल में कहीं भी कूलर व एसी नहीं लगी है। भीषण गर्मी में बीमार पंखों के सहारे छात्राएं रहने को मजबूर हैं।प्रभारी प्रधानाचार्य श्वेता भट्ट की दबंगई के चलते छात्राओं को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। छात्राएं सुविधाओं को लेकर आवाज उठाती है तो प्रभारी प्रधानाचार्य छात्राओं को फेल करने की धमकी देकर शांत कर देती है। एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की तैयारी में गत वर्ष शासन से मिले 21.50 लाख रुपये खर्च किए गए थे।

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प्रैक्टिकल कक्ष में एसी व कूलर न लगा होने से गर्मी में उपकरण खराब होने का डर है। छात्राओं को प्रैक्टिकल करने का भी मौका नहीं मिल रहा है।हॉस्टल में रुकने वाली छात्राओं के सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। केंद्र बाहर खुले मैदान में बड़ी-बड़ी घास व झाड़ियां हैं। बिजली जाने पर कमरों में धीरे-धीरे चलने वाले पंखे भी बंद हो जाते हैं। इनवर्टर व जेनरेटर की व्यवस्था नहीं है। इससे गर्मी से परेशान होकर छात्राएं केंद्र के बाहर आती हैं। वहां बाउंड्रीवाल भी नहीं है। परिसर में बंदर व अन्ना गोवंश घूमते रहते हैं। सांप भी निकलते हैं। केंद्र के अंदर लगे कैमरे भी खराब हैं। इससे छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

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