- भारत के राजदूत ने एलएसी पर चीन के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई
नई दिल्ली: अपनी साम्राज्यवादी नीतियों के कारण चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरता ही जा रहा है , नए घटनाक्रम में अमेरिका ने चीन के सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारियों को अपने देश में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है । उधर भारत के चीन में राजदूत विक्रम मिसरी ने नियंत्रण रेखा पर चीन के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई है ।
हांगकांग के मसले पर अमेरिका खुलकर चीन के विरोध में आ गया है। अमेरिका ने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी)के पदाधिकारियों को वीजा नहीं देने का फैसला किया है। वीजा प्रतिबंध के दायरे में उनके परिवार के सदस्य भी आ सकते हैं। यह कार्रवाई हांगकांग की स्वायत्तता, मौलिक आजादी और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में किया गया है।
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अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश का एलान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं सीसीपी के मौजूदा और पूर्व पदाधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर रहा हूं, जो हांगकांग की वृहद स्वायत्तता कम करने के लिए जिम्मेदार है, जिसकी 1984 में चीन-ब्रिटेन के संयुक्त घोषणापत्र में गारंटी दी गई थी।’
पोंपियो ने तल्ख लहजे में कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने हांगकांग की आजादी को खत्म करने के लिए जिम्मेदार सीसीपी के पदाधिकारियों को दंडित करने का वादा किया था। आज, हम उसी दिशा में कार्रवाई कर रहे हैं।’
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अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने पूर्व में ब्रिटेन के साथ संयुक्त घोषणापत्र में हांगकांग की व्यापक स्वायतता का सम्मान करने का वादा किया था लेकिन लगातार चीनअपने वादे के विपरीत कार्यों से वह उसे कम कर रहा है। लोकतंत्र समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए स्थानीय प्रशासन पर दबाव डालकर और लोकतंत्र समर्थक प्रत्याशियों को अयोग्य करार देकर चीन हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक आजादी का भी हनन कर रहा है।
पोंपियो ने आरोप लगाया कि चीन अभी भी गैर जिम्मेदाराना तरीके से परमाणु कार्यक्रम जारी रखे है। सीसीपी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन ,विश्व व्यापार संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ और हांगकांग के लोगों के प्रति बताई गई प्रतिबद्धताओं समेत कई अंतरराष्ट्रीय वादों को तोड़ा है।
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पोंपियो ने कहा, ‘आज मेरा संदेश यही है कि चीन की चुनौती के खिलाफ अंटलाटिक के दोनों तरफ जागरुकता को जारी रखने के लिए मिलकर काम करना होगा। यह आसान नहीं होगा।’ पोंपियो ने कहा, ‘चीन से पैसा कमाने वाला हमारा व्यापारिक समुदाय कहता है कि हमें तनाव को कम करना चाहिए और तेजी से आक्रामक हो रही सीसीपी को स्वीकार कर लेना चाहिए। हम इस तर्क को कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं। स्वतंत्रता और अधिकनायकवाद के बीच कभी समझौता नहीं हो सकता है।
इससे पहले ब्रसेल्स फोरम-2020 में अपने वर्चुअल संबोधन के दौरान पोंपियो ने कहा है कि चीन भारत के साथ सीमा पर तनाव बढ़ाने के साथ ही दक्षिण चीन सागर में खतरा उत्पन्न कर रहा है। इस खतरे से निपटने के लिए उनका देश यूरोप से अपनी सेनाएं कम कर अन्य जगहों पर तैनात कर रहा है।