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लॉकडाउन में बेजुबानों का पेट भरने के बाद पक्षी सेवा में जुटा ये नौजवान

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पहले गायों, बंदरों का पेट भरा अब पक्षियों की सेवा के लिए गांव-गांव टांग रहे पक्षी विहार बॉक्स

औरैया। अप्रैल और मई माह में कड़े लॉकडाउन प्रतिबंधों के बीच जिले के औद्योगिक नगर दिबियापुर में बाजार पूरी तरह बंद रहने से बेजुबान जानवरों के सामने खाने-पीने का संकट आया तो यह नौजवान अकेले ही ज्यादा से ज्यादा बेजुबानों का पेट भरने की मुहिम में जुट गया।

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लॉकडाउन के दौरान हर रोज सुबह होते ही गायों व बंदरों के समूहों के बीच पहुंच कर उन्हें खीरा, ककड़ी, पपीता, टमाटर, चावल की खीलें पेट भरने के सड़क पर बिखेरी तो इन बेजुबानों ने राहत की सांस ली। हम बात कर रहे हैं युवा सामाजिक कार्यकर्ता आशीष दुबे की। एक राजनीतिक वर्कर के तौर पर भाजपा से जुड़े आशीष दुबे ने अब पक्षी सेवा अभियान शुरू किया है।

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हालांकि उन्होंने इसे मोदी पक्षी सेवा अभियान नाम दिया है। अपने एक अन्य खास साथी गोविंद दुबे के साथ मिलकर आशीष दुबे पहले अपने घर पर खाली टिन लेकर ऐसा बॉक्स तैयार करते हैं जिसमें गौरैया ,तोता ,कौवा आदि पक्षी आश्रय भी ले सके और उनके लिए इस बॉक्स में दाना पानी का भी इंतजाम किया जा सके। भारतीय जनता पार्टी के रंग में रंगे बॉक्स को उन्होंने मोदी पक्षी विहार बॉक्स नाम दिया है।

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आशीष अपने साथियों के साथ क्षेत्र के गांवों में जाकर पुराने पेड़ों को तलाशते हैं जहां पक्षियों का ज्यादा बसेरा रहता है वहां वे अपने द्वारा तैयार किए गए बॉक्स को रस्सी या तार की मदद से सुरक्षित तरीके से टांग देते हैं और स्थानीय लोगों की सहभागिता से उक्त बॉक्स में पानी दाना आज का इंतजाम सुनिश्चित करते हैं इसके बाद पक्षी इन्हें अपना सुरक्षित आश्रय स्थल बना लेते हैं।

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आशीष अब तक क्षेत्र के गांव औतों, महामाई, अलीपुर की पुलिया, कनारपुर, दिबियापुर, गुलरिहा, कंचौसी मोड़ आदि स्थानों पर पर पर पक्षी विहार बॉक्स लगाकर पक्षियों के लिए दाना पानी का इंतजाम कर चुके हैं। उनके द्वारा टांगें गए पक्षी विहार बॉक्स दिन भर तोता, गौरैया, व अन्य चिड़ियों की चहचहाहट से गूंजते रहते हैं। आशीष की इस मुहिम का लोग गांव गांव न केवल समर्थन व सराहना कर रहे हैं वल्कि खुद भी वे इसमें भागीदार बन रहे हैं।

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