- पहले चरण में 2000 बच्चों की शिक्षित करने के साथ उन्हें आर्थिक सहयोग देगी सरकार
- बालिकाओं को 12 सौ व बालकों को 1000 रुपए हर माह मिलेंगे
लखनऊ: शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार ने बाल श्रमिकों को बड़ी सौगात देते हुए बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत की। बाल संपूर्ण एक अभिशाप बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आइए इसके समूल नाश हेतु संकल्पित हों।
पहले चरण में दो हजार बच्चों को चिन्हित किया गया है। श्रम विभाग चिन्हित बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने के साथ उन्हें बाल श्रम से मुक्त कराएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- बाल श्रम एक अभिशाप है।
पढ़ाई के साथ आर्थिक सहायता भी होगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत अपने आवास से की। उन्होंने बताया कि, 8 से 18 वर्षों तक के सभी बच्चों को शिक्षा पाने के लिए स्कूल में होना चाहिए। लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्हें बाल श्रम करना पड़ता है। ऐसे बच्चों के लिए आज एक नई योजना ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ प्रदेश में शुरु की जा रही है। सीएम ने कहा कि प्रत्येक बच्चा असीम संभावनाओं का प्रकाश-पुंज है। इन संभावनाओं में राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की आभा है। एक सभ्य समाज के रूप में इन संभावनाओं को यथार्थ में परिवर्तित होने हेतु अनुकूल अवसर उपलब्ध कराना हमारा कर्तव्य है।
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इस तरह मिलेगा योजना का लाभ
योजना में कक्षा 8, 9 और 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को प्रति वर्ष 6000 रुपए की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान भी दिया गया है। इस योजना में पहले चरण में जिन 57 जनपदों में सर्वाधिक बाल श्रम से जुड़े हुए कामकाजी बच्चे अब तक रिकॉर्ड किए गए हैं, वहां पर 2000 बच्चों का चयन करते हुए बालकों को 1000 रुपए प्रति माह और बालिकाओं को 1200 रुपए प्रति माह देने की व्यवस्था के साथ ये योजना लागू की जा रही है।