मथुरा । गिरिराज की तलहटी में बारिश के बाद होने वाले पहले छप्पन भोग में इस बार ठाकुर से चन्द्रयान -3 अभियान के आगे भी सफल होने की कामना की जाएगी। गिरिराज सेवा समिति द्वारा कई दशकों से आयोजित छप्पन भोग में जिस प्रकार हर साल राष्ट्र के कल्याण के लिए किसी थीम पर गोवर्धन में छप्पन भोग का आयोजन किया जाता है। परंपरा के तहत इस बार ठाकुर से चन्द्रयान-3 की उत्तरोत्तर सफलता की प्रार्थना ठाकुर से की जाएगी। गिरिराज तलहटी में वैसे तो छप्पन भोग का आयोजन कोई नई परंपरा नही है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा स्वयं शुरू की गई परंपरा का निर्वहन करते हुए हर साल दर्जनों छप्पन भोग का आयोजन गोवर्धन में किया जाता है पर गिरिराज सेवा समिति का यह छप्पन भोग हर दृष्टि से निराला है।
समिति के संस्थापक मुरारी अग्रवाल ने बताया कि इस छप्पन भोग के लिए चंद्रयान 3 अभियान से जुड़े इसरो के वैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया गया है। अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को होने वाले अलौकिक छप्पन भोग को आयोजक संस्था गिरिराज सेवा समिति ने इसरो को समर्पित करने के लिए चन्द्रयान की थीम को हुबहू उतारते हुए सोने चाँदी के वर्क और रत्नों से प्रज्ञान और विक्रम लैंडर को बेंगलुरु से आये आर्टिस्टों से बनवाया है |
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जिन्होंने इसे बिल्कुल वैसा रूप दिया है जैसा चन्द्रयान 3 से अलग होने के बाद विक्रम और प्रज्ञान चंद्रमा पर उतरे थे । यही नहीं गोल्डन सिल्वर कलर को दर्शाने के लिये सोने चाँदी के वर्कों और रत्नों से सजाकर अद्भुत रूप दिया है इसी के साथ शिवशक्ति पॉइंट बनाया गया है । सूर्य की परिक्रमा कर रहे ग्रहों बुध गुरु शुक्र मंगल के साथ ब्रह्मांड भी रचा गया है ! इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि गिरिराज प्रभु प्रज्ञान विक्रम लैंडर पर विराजमान होकर छप्पन भोग चखते नजर आयेंगे। ब्रह्मांड के समस्त ग्रह प्रभु के दर्शन करते दिखेंगे। अग्रवाल का कहना था कि इसरो के वैज्ञानिकों को छप्पन भोग का न केवल न्यौता भेजा गया है बल्कि उन्हें छप्पन भोग का प्रसाद भी भेजा जायेगा। छप्पन भोग के लिए पौराणिक काल में प्रभु को प्रिय व्यंजन मोहन भोग , चन्द्र भोग, अमृत भोग ,मधु भोग ,कंचन भोग, अनंत भोग, लौंग लता, इक्षा भोग ,मगध लड्डू ,पंचरत्नीं लड्डू ,गौंद लड्डू ,मेसू भोग ,खजला भोग एवं चंद्रकला जैसे 56 व्यंजन गाय के शुद्ध घी से देश के विभिन्न हिस्सों से आये कारीगर बना रहे है।
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मंगलवार से शुरू हुए इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में समिति के सदस्यों के साथ देश के विभिन्न भागों से आए हजारों कृष्ण भक्त गिरिराज महाराज की दूध की धार से धारा परिक्रमा दे चुके हैं। आज गिरिराज महाराज का सात नदियों के जल और कामधेनु गाय के पवित्र दूध समेत पंचामृत से महाअभिषेक जब वैदिक मंत्रों के मध्य किया गया तो गिर्राज तलहटी में भक्ति रस की गंगा प्रवाहित होने लगी। प्रभु का शृंगार सप्त रत्नों से होगा। अनन्त चतुर्दशी को अपरान्ह तीन बजे से रात 12 बजे तक छप्पन भोग के दर्शन होंगे। ब्रजवासियों का मानना है कि पूर्ण भक्ति भाव से गिरिराज जी की आराधना मनोकामना को अवश्य पूरा करती है । आयोजकों का मानना है कि पूर्ण भक्ति भाव से की जा रही उनकी आराधना बेकार नही जाएगी और गिरिराज जी इसरो के वैज्ञानिकों के प्रयास को आगे भी सफल करेगेे तथा चन्द्रमा के धरातल पर मानव को उतारने वाला भारत विश्व में पहला देश बनेगा।