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घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं को आगे आना होगा: सदस्य राज्य महिला आयोग

घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं को आगे आना होगा: सदस्य राज्य महिला आयोग
घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं को आगे आना होगा: सदस्य राज्य महिला आयोग

जालौन । उत्तर प्रदेश की राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ कंचन जायसवाल ने उरई के विकास भवन सभागार पहुंची, जहां उन्होंने महिलाओं से जुड़े मामले को गंभीरता से सुना। साथ ही उन 10 मामलों का निस्तारण भी किया, जो पिछले कई दिनों से लंबित पड़े हुए थे। इसके अलावा उन्होंने इन मामलों से जुड़े अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए कि महिलाओं से जुड़े मामलों को वह गंभीरता से लें और उनका तत्काल निस्तारण करें।

महिला आयोग की सदस्य डॉ कंचन जायसवाल एक दिवसीय दौरे पर उरई पहुंची जहां अपने निर्धारित कार्यक्रम से काशीराम कॉलोनी में जाकर शोषित और वंचित महिलाओं की समस्याओं को सुना काशीराम कॉलोनी में हुई जनसुनवाई में 25 मामले घरेलू हिंसा नौकरी और अन्य मामलों से जुड़े प्रार्थना पत्र आए जिन्हें महिलाओं की समस्याओं को सुना गया और उन समस्याओं का समाधान भी कराया। साथ ही प्रदेश सरकार की महिलाओं से जुड़ी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी कराया गया और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे कार्यक्रम चलाया जाए जिन्हें महिलाओं को सीधा लाभ मिल सके।

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तो वही दूसरी जनसुनवाई विकास भवन में आयोजित हुई जहां अलग-अलग थाना क्षेत्रों से आई शिकायतों को महिला आयोग की सदस्य डॉ जायसवाल ने देखा, साथ ही उन समस्याओं को गंभीरता से लिया। इसके अलावा महिलाओं से उनकी समस्याओं के बारे में पूछते हुए उन्हें संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन समस्याओं का शीघ्र से शीघ्र निस्तारण किया जाए। इसके अलावा उन्होंने मौके पर 10 समस्याओं का निराकरण करते हुए उन महिलाओं को हक दिलाया जो पिछले कई समय से परेशान चल रही थी। वही उन्होंने मौजूद अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि जो भी शिकायत महिलाओं से जुड़ी उनके पास आती है, उनको 3 से 7 दिन के अंदर निस्तारण कर दिया जाये। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं के प्रति संवेदनशील है इसीलिए महिलाओं की समस्याओं पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

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डॉ कंचन जसवाल ने बताया मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत उन बच्चों को ₹4000 प्रति महीना सरकार की तरफ से सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है जिनके माता-पिता कोविड-19 की चपेट में आकर खत्म हो गए हैं साथ ही अन्य निराश्रित बच्चों को भी मुख्यमंत्री की योजना बनाकर शामिल किया जा रहा है जिससे बच्चों का भरण पोषण किया जा सके।

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