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किस राजा ने अहिल्याबाई को विधवा बना दिया था?

PHOTO BY-TEJAS KHABAR

बात उस समय की है जब मुगल बादशाह औरंगजेब दक्षिण भारत में मराठों से लड़ते लड़ते थक गया । मराठों ने 30 साल तक युद्ध में औरंगजेब को खूब छकाया । मराठों को नष्ट करने चला ताकतवर बादशाह औरंगजेब लड़ते लड़ते खुद दक्षिण में ही मर गया ।वह अपने जीवनकाल में मराठों को मिटाने और पूरी तरह हराने का संकल्प पूरा नहीं कर सका । औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत में मराठा शक्ति का वर्चस्व कायम हो गया । मराठा साम्राज्य के शासक तो शिवाजी के वंशज थे,परंतु मराठा राज्य की असली ताकत पेशवाओं के हाथ में थी । पेशवा अर्थात मराठा राज्य का सेनापति । पेशवाओं के पराक्रम से दिल्ली की मुगल सत्ता सिकुड़ कर दिल्ली और उसके आसपास तक ही सीमित रह गयी । पूरे देश के 24 मुस्लिम शासकों से मराठे सुरक्षा के नाम पर भारी कर वसूलने लगे । कर देने वालों में आज के पाकिस्तान देश के कुछ मुस्लिम राजा भी शामिल थे ।इसके अलावा निजाम, भोपाल आदि के कई मुस्लिम रियासतें मराठों को कर दे रहीं थी। पूरा महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश, गुजरात के बहुत बड़े भाग पर मराठों का प्रत्यक्ष शासन हो गया । पेशवा को अपना राज्य सुचारू रूप से चलाने के लिये कई मराठा सेनानायकों की नियुक्त करनी पड़ी । मल्हार होल्कर, रघुनाथ होल्कर, महादजी सिंधिया, जनकोजी सिंधिया ,भाऊ राव मराठा सेनानायकों में शामिल थे,इन सब मराठा सरदारों के पास विशाल ताकतवर सेना थी।

ऐसा कौन सा इकलौता क्रांतिकारी जिसे दो बार आजीवन कारावास मिला हो ?

मल्हार होल्कर, रघुनाथ होल्कर , महादजी सिंधिया को पेशवा ने समस्त उत्तर,मध्य ,पश्चिम भारतीय राज्यों से कर वसूलने औऱ साम्राज्य विस्तार की जिम्मेदारी दी थी । मल्हार होल्कर जो कि कर वसूलने में बहुत माहिर था, राजस्थान के राजपूत राजाओं से मल्हार ने भारी कर वसूली की थी । एक दिन मल्हार शासकीय कार्य से मराठा राज्य की राजधानी पूना जा रहा था। रास्ते में वह जमखेड़ के चांडी गाँव में रुका,वहाँ मल्हार ने गाँव में एक दस साल की बालिका अहिल्या को, गरीबों को भोजन कराते देखा तो मल्हार उस बालिका से बहुत प्रभावित हुआ। मल्हार ने उस बालिका की शादी उसके पिता से कहकर अपने बेटे खंडोजी होल्कर से करा दी । मल्हार अपने सभी युद्ध अभियानों में बेटे के साथ अपनी बहू अहिल्या को भी साथ ले जाने लगा । शीघ्र ही प्रतिभा की धनी अहिल्या राज्य काज में प्रशिक्षित हो गयी । इधर मल्हार ने मालवा राज्य पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया और महादजी सिंधिया ने ग्वालियर पर अपना अधिकार जमा लिया । धन की लालसा में मल्हार ने विशाल सेना लेकर जाट राज्य भरतपुर पर चढ़ाई कर दी । जाट राजा सूरजमल के नेतृत्व में जाटों ने अपने अभेद्य कुम्हेर किले से मराठों का मुकाबला किया। युद्ध कई महीनों तक चलता रहा । अचानक एक दिन मल्हार के पुत्र खंडोजी ने किले पर सामने से हमला कर दिया । मुस्तैद जाट बन्दूकचियों ने खंडोजी को मार डाला।

अहिल्याबाई विधवा हो गई ,उन्होंने सती होना चाहा ,परंतु मल्हार ने अहिल्याबाई को सती होने से रोक लिया । 31 मई 1725 में जन्मी अहिल्या अल्पायु में विधवा हो गईं ,लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा वे राज काज में भाग लेने लगी l उनका पुत्र मालेराव और दामाद यशवंत राव भी अल्पायु में चल बसा । उनकी पुत्री सती हो गयी । 1767 में मल्हार होल्कर की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई मालवा की गद्दी पर बैठी । उन्होंने गरीबों के लिये कई कल्याण कारी योजना चलाकर जनता का दिल जीत लिया । राहगीरों के लिये विश्रामालय बनवाये। आदिवासियों को वनों से गाँवो में बसने के लिये प्रेरित किया । कई युद्धों में उन्होंने खुद हाथी पर चढ़कर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की । रानी अहिल्या अपने आपको शासक न मानकर सदैव सेविका और सरंक्षिका ही मानती थी । उन्होंने इंदौर गाँव का विकास कर अपने जीवन काल में ही बड़ा शहर बना दिया । भगवान शिव की परम भक्ति रानी अहिल्या ने अपने छोटे राज्य क्षेत्र से बाहर सोमनाथ,ओंकारेश्वर,मल्लिकार्जुन, महेश्वर ,महाकालेश्वर ,काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर मंदिरों का निर्माण कराया । अपने 30 साल के शासन में महारानी अहिल्याबाई ने अयोध्या, मथुरा, काशी, द्वारका, हरिद्वार, काँची, बद्रीनाथ सहित कई तीर्थस्थानों में मंदिरों ,घाटों , धर्मशालाओं ,सड़कों का निर्माण कराकर विकास कराया । शायद ही मुगल काल के दौरान अथवा बाद में कोई राजा रहा हो जिसने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर इतना विकास कराया हो । आज भारत सरकार और कई प्रदेशों की सरकारें अहिल्याबाई को विकास और कल्याण का प्रतीक मानकर उनके नाम पर महिलाओं के लिये कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहीं है । आओ हम सब अहिल्या बाई के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके जन्म दिवस पर उन्हें नमन करे ।

लेखक – मुनीश त्रिपाठी पत्रकार और विभाजन की त्रासदी पुस्तक के लेखक हैं

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