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जब जब धरा पर अत्याचार बढ़ता है तब तब प्रभु का अवतार होता है

जब जब धरा पर अत्याचार बढ़ता है तब तब प्रभु का अवतार होता है
जब जब धरा पर अत्याचार बढ़ता है तब तब प्रभु का अवतार होता है

भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म के दौरान झूम उठे श्रद्घालु

फफूंद । नगर में स्थित श्री महावीर धाम मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव की झांकी निकलते ही श्रद्धालु पुष्प की वर्षा करने लगे। जन्मोत्सव में संगीतकार के सोहर भजन पर श्रोता खूब झूमे। भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की जयघोष से वातावरण गूंजमान हो उठा। कथावाचक श्री रामसखा जू महाराज(व्रन्दावन) ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म,अर्थ, काम एवं मोक्ष की महत्ता पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है।

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प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मथुरा में राजा कंश के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। श्री रामसखा जू ने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे। प्रति दिन कथा श्रवण के लिए काफी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा स्थल मंदिर परिसर में महिलाओं की अपार संख्या लेती है मैदान खचाखच भरा रहता है।

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