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कल्याण सिंह जब बोले नहीं निकालोगे तुम मेरी बाइट लेते सब निकालता कोई नहीं

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कल्याण सिंह जब बोले नहीं निकालोगे तुम मेरी बाइट लेते सब निकालता कोई नहीं
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पत्रकार मुनीष त्रिपाठी का स्वर्गीय कल्याण सिंह बाबू जी के साथ रोचक संस्मरण

औरैया | बात 2012 यूपी के विधानसभा चुनाव की है मैं उस समय मैनपुरी में ईटीवी के लिये रिपोर्टिंग करता था । बाबू जी कल्याण सिंह तब भाजपा से अलग थे उन्होंने प्रदेश के कई विधानसभा सीटों से राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से प्रत्याशी उतारे थे। मैनपुरी सदर सीट और भोगांव से भी उनके प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे । भोगांव नेशनल कॉलेज में अपने प्रत्याशी के समर्थन में हेलीकॉप्टर से रैली करने आये थे ।

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उनके साथ उनके पौत्र मौजूदा राज्यमंत्री संदीप सिंह भी थे जो उस समय उनकी देखरेख में उनके साथ चलते थे , मैं और मैनपुरी के शम्भू पत्रकार साथ में थे जनपद में कई जगह अन्य बड़े नेता भी रैली कर रहे है थे । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के बीच तय हुआ कि हम और शम्भू जी भोगांव कवर लेंगे बाकी जगह अन्य लोग। मैंने जनसभा के बाद मंच से बाबू जी के उतरने के बाद सवाल के लिये घेरा । उन्होंने थोड़ा आगे जाते हुए मुड़कर कहा कि रोज मेरी बाइट लेते है लेकिन कोई निकालता नही है। मैंने विनम्रता से कहा बाबू जी मैं अवश्य निकालूंगा ।

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लेकिन मेरे सवालोँ का जबाब देना होगा ।तब उन्होंने विनम्रता से कहा पूछो क्या पूछना है। भाजपा उस समय यूपी में उमा भारती के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी । मैंने उनको लेकर सवाल शुरू किये । क्योकि उमा जी को बाबूजी बेटी मानते थे। मैंने पूछा क्या राजनीति ने आप पिता पुत्री को अलग कर दिया है । बाबूजी चेहरे पर उदासी लिये बोले कि अब उमा मेरी बेटी नही रही उसने कुर्सी के लिये अपने पिता को छोड़ दिया है और भी कुछ उमा के बारे में बोले। मैं समझ गया यह लीड खबर हो गई जरूर चलेगी। मैंने बाइट के बाद बाबू जी से कहा देखिएगा जरूर आज रात में 7 से 9 तक की बुलेटिन में। संयोग ऐसा कि बाबू जी की दूसरे दिन ही मैनपुरी के कुरावली में दूसरी जनसभा थी ।

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मैं वहाँ फिर पहुंच गया शंभू जी के साथ। मंच से उतरने के बाद मैंने माइक दिखाकर उनसे रुकने के लिये कहा । वे मुझे देखकर तुरन्त रुक गए । मैंने पूछा बाबूजी चली की नही आपकी बाइट । हाथ जोड़कर बड़े विनम्र भाव से कृतज्ञता पूर्वक बाबूजी मुस्कराते हुए बोले चली बेटा खूब चली धन्यवाद बहुत 2 धन्यवाद । कभी लखनऊ आकर जरूर मिलना मेरे आवास पर । उनको उस समय भी चलने में दिक्कत थी संदीप जी का सहारा लेते थे लेकिन दिमाग उनका किसी युवा स्वस्थ व्यक्ति से कम नही चलता था । ऐसे विनम्र ,विराट ,लोकनायक , प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त बाबू जी को तेजस परिवार की ओर से कोटि 2 नमन,श्रद्धांजलि । प्रभु श्रीराम उन्हें अपने चरणों स्थान दें।

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