- अपने पति से कैसे टूट गया रिश्ता ?
- कौन सी चुनी सरकार को इंदिरा के दबाव में कर दिया था बर्खास्त ?
भारत की चार बार प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी सख्त शासक के रूप में जानी जाती है। पाकिस्तान से 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान के बानवे हजार सैनिकों को भारत से करारी हार के बाद भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही थी । इस युद्ध का परिणाम यह निकला कि पाकिस्तान से बांग्लादेश स्वतन्त्र होकर अलग देश बन गया। इंदिरा के इसी फैसले के चलते उन्हें लौह ललना कहा जाता है ।
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कहा यह भी जाता है पूर्व पीएम और भाजपा के दिग्गज अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें इस कार्य के लिये दुर्गा की उपमा दी थी , हालाकि बाद में अटल जी ने इन्दिरा को दुर्गा कहने की बात को खारिज कर दिया था। 19 नवम्बर 1917 को प्रयागराज में जन्मी इंदिरा का विवाह फिरोज नामक व्यक्ति से हुआ था । शादी के बाद दोनों ने अपने नाम के आगे गाँधी उपनाम जोड़ दिया। इंदिरा ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक के रूप में की थी बाद में सांसद चुनी गई साथ ही उनके पति फिरोज गाँधी भी सांसद चुने गए। इंदिरा जवाहरलाल नेहरू के कैबिनेट में सूचना प्रसारण मंत्री भी बनी । अपने पति फिरोज गाँधी से उनके कई मामलों में गहरे मतभेद थे।
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भ्रस्टाचार के आरोपों को लेकर फिरोज ने नेहरू सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया । दुनिया की पहली डेमोक्रेटिक कम्युनिस्ट सरकार 1957 में केरल में बनी । वहाँ की कथित दमनकारी सरकार को नेहरु ने न चाहते हुए इंदिरा के दबाव में उसे 1959 में बर्खास्त कर दिया । फिरोज गांधी ने इस पर नेहरू सरकार की जमकर आलोचना की थी। इन्दिरा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी । इंदिरा के ऊपर सत्त्तालोलुप होने के भी आरोप लगे । इंदिरा ने अपनी सत्ता को जाते देख 1975 में देश में अघोषित आपात काल लगा दिया । जिसकी देशभर में व्यापक निंदा हुई, विरोध करने पर देश भर में लाखों लोगों को जेल में ठूँस दिया गया । परिणामस्वरूप देश भर में इंदिरा सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त हो गया । 1977 के आमचुनाव में कांग्रेस बुरी तरह विपक्ष के गठबंधन जनता पार्टी से हार गई । खुद इंदिरा गाँधी रायबरेली से राजनारायण से चुनाव हार गईं। उनके पुत्र संजय गाँधी भी अमेठी से चुनाव हार गए । 1980 में वे फिर सत्ता में लौटी । 31 अक्टूबर 1984 में उनके सुरक्षाकर्मियों सिख अतिवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।