बच्चों को सिखाएं कि पानी बचाएं और पेड़ लगाएं – नेहा कुशवाहा
औरैया। *पानी, प्रकृति की सबसे अमूल्य निधि है जिसे हम बना नहीं सकते बल्कि अपनी सोच में सकारात्मक बदलाव से बचा जरूर सकते हैं। अक्सर लोग कहते मिल जाएंगे कि हमारे अकेले से कुछ नहीं होगा। नहीं भाई, शुरुआत अकेले से ही होती है और बाद में कारवां बनता चला जाता है। इसलिए पहले शुरुआत हमें अपने स्वयं से करनी है। हम यदि अपने घर में हैं या घर से बाहर, हमें हर तरह से पानी बचाने की सोच विकसित करनी होगी। नल खुले हैं तो बंद कर दें। जरूर के मुताबिक पानी का उपयोग करें। हाथ धोने में यदि नल को धीमी गति से चलाएंगे तो हाथ भी अच्छे से साफ होंगे और पानी की भी बचत होगी। अपने वाहनों को धोने में या जानवरों को नहलाने में हम बाल्टी और मग का उपयोग करें।
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घर के बच्चे कुछ पानी को बेवजह इधर-उधर फैलाने के बजाय अपने आसपास के पौधों में उनका उपयोग करें। चिड़ियों और पशु पक्षियों के लिए किसी बर्तन में पानी भरकर अपनी बालकनी या खुली छत पर रखें। अपने घर के छोटे बच्चों के हाथों से गमले में या अपने घर के बाहर आवश्यकता अनुसार एक फलदार या पुष्पित पौधे को रोपित कराएं और उससे उसकी नियमित देखभाल करने को कहें। जन्मदिन पर केक काटने के बजाय पौधा रोपित करने के लिए अपने बच्चों को प्रेरित करें। हर किसी अवसर पर लोगों को पानी बचत के साथ-साथ पौधों को रोपित करने के लिए प्रेरित करें और गिफ्ट के रूप में पौधा भेंट करने के चलन को बढ़ावा दें। बेसिक और माध्यमिक के शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को होमवर्क के रूप में जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर प्रोजेक्ट कार्य करने को कह सकते हैं। कुछ इस तरह से आप अपनी धरती और प्रकृति को बचाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।