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उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्वार योजनान्तर्गत मिलेटस के पोषक तत्वों, मिलेटस के विभिन्न प्रकारों तथा उनके उपयोग पर एक दिवसीय प्रशिक्षण अध्यापकों एवं रसोईयों को दिया गया

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उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्वार योजनान्तर्गत मिलेटस के पोषक तत्वों, मिलेटस के विभिन्न प्रकारों तथा उनके उपयोग पर एक दिवसीय प्रशिक्षण अध्यापकों एवं रसोईयों को दिया गया

औरैया । शुक्रवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अजीतमल में अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्वार योजनान्तर्गत मिलेटस के पोषक तत्वों, मिलेटस के विभिन्न प्रकारों तथा उनके उपयोग आदि विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला/ प्रशिक्षण में विभागीय अधिकारियों एवं विशेषज्ञों द्वारा 50 अध्यापकों एवं 50 रसोईयों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उक्त कार्यशाला/ प्रशिक्षण में अपर जिलाधिकारी, एमपी सिंह ने शिक्षकों एवं रसोइयों को श्री अन्न के बारे में जागरूक करते हुए अवगत कराया कि यह कार्यशाला/ परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसे अत्यंत गंभीरता से लें। श्री अन्न हमारे लिए नया नहीं है, श्री अन्न का सिंधू घाटी की सभ्यता की खोज में भी उल्लेख है। हरित क्रांति के आने से श्री अन्न (मोटा अनाज) का उत्पादन धीरे-धीरे कम होता गया। भारत सरकार द्वारा श्री अन्न को पुनः नये सिरे से शामिल करने हेतु जोर दिया जा रहा है।

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श्री अन्न ग्लूटेन मुक्त है इसे शुष्क जलवायु, कम पानी, उर्वरक व कीटनाशकों की न्यूनतम आवश्यकता होती है। यह स्वास्थ्य वर्धक व पौष्टिकता से भरपूर होता है श्री अन्न से बने व्यंजनों के वृद्धि प्रति धीरे-धीरे अपने घरों में, स्कूलों में व अन्य लोगों में जानकारी प्रदान कर रुचि पैदा करनी होगी तभी इस कार्यशाला/ प्रशिक्षण का उद्देश्य पूर्ण होगा। डॉ० योगेश कुमार भूमि संरक्षण विभाग जनता महाविद्यालय, अजीतमल औरैया, डॉ० उमेश दुबे, शस्य विज्ञान विभाग जनता महाविद्यालय, अजीतमल औरैया, डॉ० अनन्त कुमार कृषि वैज्ञानिक, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी, औरैया हिमांशु रंजन श्रीवास्तव एवं एन०एफ०एस०एम० सलाहकार विवेक मोहन त्रिवेदी द्वारा अध्यापकों एवं रासोइयो को श्री अन्न (रागी, सावा, कोदो, बाजरा, ज्वार, इत्यादि) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।

उन्होंने अवगत कराया कि श्री अन्न हमारे लिए क्यों आवश्यक है तथा इनमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों की महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। आज गेंहू व चावल की अत्यधिक सेवन से शुगर, हार्टअटैक व कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। श्री अन्न से बने व्यंजनों को अपने दैनिक आहार में शामिल करके इन बीमारियों से बचा जा सकता है तथा अपनी आने वाली पीढियों को बचा सकते हैं। सोम्या भार्गव, प्रशिक्षिका, चित्रकूट द्वारा श्री अन्न से तरह-तरह के व्यंजन तैयार किए जाने की विस्तृत विधि से अवगत कराया गया। उन्होंने बाजरे से रोटी, पुआ, शरबत, लड्डू व खीर बनाये जाने एवं चावल की खीर की तरह सावा व कोदो की भी खीर बनाये जाने के बारे में अवगत कराया गया तथा इन पदार्थों को यदि स्कूलों के मिड डे मील भोजन में शामिल किया जाए तो विद्यार्थियों का सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा के बारे में भी अवगत कराया।

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उक्त कार्यशाला में उपस्थित अध्यापकों एवं रसोइयों को श्री अन्न से बनने वाले व्यंजनों को बनाकर भी दिखाया गया। उप कृषि निदेशक प्रदीप कुमार ने अध्यापकों एवं रसोइयों को श्री अन्न के बारे में जागरूक करते हुए अवगत कराया गया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एवं उसके पोषक तत्वों के बारे में आपको जानकारी प्रदान करना है, जिससे आपके माध्यम से बच्चों एवं अन्य व्यक्तियों/ कृषकों में जानकारी पहुंचाकर श्री अन्न के प्रति रुचि पैदा की जा सके। अंत में समस्त उपस्थित अध्यापकों एवं रसोइयों का आभार व्यक्त करते हुए उक्त प्रशिक्षण में दी गयी जानकारी को अन्य जनमानस एवं बच्चों तक पहुंचाने हेतु आग्रह किया गया।

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प्रशिक्षण /कार्यशाला में डॉ० योगेश कुमार भूमि संरक्षण विभाग डॉ०उमेश दुबे, शस्य विज्ञान विभाग, डॉ० अनन्त कुमार कृषि वैज्ञानिक, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी, हिमांशु रंजन श्रीवास्तव, एन०एफ०एस०एम० सलाहकार विवेक मोहन त्रिवेदी, विमलेश कुमार भूमि संरक्षक अधिकारी (अभि०) औरैया, विजय कुमार भूमि संरक्षण अधिकारी औरैया स्थान दिबियापुर, राजेश कुमार गुप्ता रेशम विभाग इत्यादि अधिकारियों/ कर्मचारियों एवं रसोइयों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उक्त प्रशिक्षण का सफल संचालन रमेश बाबू पाल साहायक विकास अधिकारी (कृषि) भाग्य नगर द्वारा किया गया।

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