- अपनी कला के जरिए होने वाली कमाई से वंचित बच्चों के लिए संसाधन जुटा रहीं सोनल
औरैया। जिंदगी की अंधी दौड़ में आम इंसान की तरह पहले एमएससी फिर पीएचडी करने के बाद प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर कोई अगर कला के क्षेत्र में रम जाए तो वह अलग तो कहा ही जायेगा, जी हाँ हम बात कर रहे हैं एक ऐसी युवती की जो अपनी योग्यता और शिक्षा से सरकारी अथवा गैर सरकारी क्षेत्र में लाखों के पैकेज पर कार्य कर सकती थी, परंतु अपना तयशुदा जिंदगी छोड़कर छाया आर्ट एंड क्राफ्ट में अपना करियर बना रही हैं। उनका नाम है डॉ सोनल अग्रवाल।
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औरैया निवासी डॉ सोनल बताती हैं कि उन्हें हमेशा से कुछ नया करने का शौक था, परंतु जिंदगी की दौड़ में उन्होंने भी वही किया जो सभी करते हैं। रसायन विज्ञान में पीएचडी करने के बाद उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अध्यापन भी किया, परंतु उन्हें उसमें सुकून नहीं मिला। एक बार वो बौद्ध मंदिर गयीं वहाँ उन्हें मंडाला कला का पता चला, इस दौरान मंडाला कला ने न केवल उन्हें आकर्षित किया बल्कि उन्हें एक उद्देश्य व शांति की भावना दी। और इसके बाद डॉ सोनल ने इस कला को स्वयं सीखने और लोगों को सिखाने का फैसला किया।
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अब आलम यह है कि डॉ सोनल की बनाई मंडला आर्ट को न केवल अपने देश में बल्कि अमेरिका में भी लोग पसंद का रहे हैं और उनकी आर्ट से प्रेरित होकर लोग स्वयं एवं बच्चों को आर्ट बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए सोनल ने सोनल आर्ट स्टूडियो नाम से अपनी एक आर्ट गैलरी भी विकसित की है। डॉ. सोनल कहती हैं, “मंडल बनाने की प्रक्रिया में, आप बहुत अधिक शांत महसूस करते हैं। उन्होंने 2019 में सोनल आर्ट स्टूडियो लॉन्च किया। इस दौरान उन्होंने मंडला आर्ट को बनाया है 20 से अधिक देशों के लोग और दुनिया भर में 500 से अधिक लोगों को पढ़ाया है। इन कलाओं को स्थानीय और ऑनलाइन बेचकर वह वंचित बच्चों के लिए धन जुटाती है।
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वंचित बच्चों की शिक्षा में देतीं हैं योगदान मंडाला कला से होने वाली कमाई व अपने स्वयं के धन से डॉ सोनल वंचित बच्चों के लिए कॉपी किताबों सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की भी व्यवस्थाएं करती हैं।