औरैया–भारत देश अनमोल रत्नों से भरा पड़ा है,जहां सरस्वती स्वयं संगीत की देवी है,वहाँ हर घर मे कुछ न कुछ प्रतिभाएँ देखने को मिल जाएगी और ये प्रतिभाएँ किसी पहचान की मोहताज नही है।वो तो बस अपनी सहजता से लोगों का मन मोह लेती है।
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ऐसी ही एक प्रतिभा की धनी नैंसी दीक्षित औरैया के नौली गांव की रहने वाली है,वह गाँव में ही धूल मिट्टी में पली बढ़ी है।लेकिन जैसे धूल में पड़ी हुई भी मणि अपने तेज को चारों ओर फैलाती रहती है वैसे ही गांव में इस बच्ची की प्रतिभा का प्रकाश फैला हुआ है।बचपन से ही नैंसी पर सरस्वती माँ की अनुकम्पा है।महज 6 वर्ष की उम्र से ही टेलीविजन पर आने वाले गानों को सुनकर नैंसी गाया करती है।नैंसी का परिवार बहुत साधारण है उसके पिता एक कृषक और माँ ग्रहणी है संगीत से उनका दूर-दूर तक उनका कोई नाता नही है लेकिन कहते है कि हीरा तो सदा से कोयले की खान से ही निकलता है और इसीलिये ईश्वर ने नैंसी रूपी हीरा उन्हें प्रदान किया।नैंसी को संगीत से इतना प्रेम है कि वह कुछ भी करे गीत उसके मुँह से निकलते ही रहते है।नैंसी ने अपने संगीत के लिये विद्यालय में कई इनाम भी जीते है उसकी माँ उसका मनोबल बढ़ाती रहती है। नैंसी का सपना एक सिंगर बनना है।