औरैया। स्वामी विवेकानन्द इण्टर कालेज सहार में कक्षा 10 के छात्र सुमित कुमार ने इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग किया था जिसके फलस्वरूप शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश लखनऊ के द्वारा उपलब्ध कराए गए टैबलेट को जिलाधिकारी नेहा प्रकाश ने मंगलवार को कार्यालय में छात्र को प्रदान किया। जिला विद्यालय निरीक्षक एस पी यादव ने बताया कि शिक्षा निदेशक माध्यमिक उत्तर प्रदेश लखनऊ के द्वारा इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश से सत्र 2020 – 21 में चयनित 19 छात्र – छात्राओं में से जनपद के एक मात्र प्रतिभागी छात्र सुमित कुमार कक्षा 10 स्वामी विवेकानन्द इण्टर कालेज सहार को टैबलेट मिला है। मंगलवार को जिलाधिकारी नेहा प्रकाश ने प्रदान किया। यह हमारे जनपद के लिए गौरव की बात है।
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इंस्पायर अवार्ड योजना के नोडल अधिकारी एवं भौतिकी प्रवक्ता रामेन्द्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि सुमित कुमार ने वर्ष 2021 में कक्षा 7 में पढ़ने के दौरान इंस्पायर अवार्ड योजना में अपने आइडिया का पंजीकरण कराया था। जनपद स्तर से कुल 7 मॉडल इस योजना में चयनित हुए। उन्हें भारत सरकार की ओर से मॉडल बनाने के लिए एकमुश्त धनराशि रुपया 10 हजार प्राप्त हुई थी। इन रुपयों से सुमित ने अपने आइडिया को मॉडल रूप में परिवर्तित किया। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में गोबर उठाने के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी की पारम्परिक “कठफौरी” को आधुनिक और सरलतम रूप में तब्दील किया । अब इस यंत्र से बिना हाथ लगाए गोबर को भरना, उठाकर दूर स्थान पर ले जाना आसान हो गया है।
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सुमित का यह मॉडल जनपद से राज्य स्तर के लिए चयनित हुआ। राज्य स्तर पर प्रदेश भर के कुल 181 मॉडल्स से केवल 19 मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने के लिए चयनित किया गया है, जिनमें से अपने जनपद से छात्र सुमित कुमार की कठफौरी का मॉडल भी सम्मिलित रहा है। अब इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा टैबलेट मिला है जो जनपद के माध्यमिक स्कूलों में कक्षा 6 से 10 में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को इंस्पायर योजना में प्रतिभाग करने वालों के लिए एक प्रेरक उपलब्धि है। गांव पुर्वा देवीदास निवासी स्व० रामपाल के दो बेटे अमित और सुमित हैं जबकि एक बेटी संध्या है जो बीएससी कर चुकी है। सुमित के दादा मौजी लाल अपने नाती की उपलब्धि पर बहुत खुश हैं ।
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उनका कहना है कि ईश्वर की कृपा से बच्चे खूब तरक्की करें हमारा तो यही आशीर्वाद है । सुमित की माता सुषमा देवी भी बहुत खुश और और अपने बेटे को खूब आशीर्वाद दे रही हैं। सबसे पहले हमने लकड़ी की ही आधुनिक कठफौरी बनाई थी लेकिन लाने – ले जाने में हर बार उसमें टूट हो जाती थी। इसलिए स्थायित्व प्रदान करने के लिए हमने लोहे की कठफौरी को बनाने का फैसला किया। इसके लिए हमने छोटे बच्चों की साइकिल के दो पहिए लिए और उसमें जड़ दी अपने घर में टूटे पड़े बक्से की चद्दर से बनाई गई ट्राली। गोबर भरने के लिए उसी चद्दर का एक छोटा टुकड़ा जिसमें फंसाई एक लोहे की छड़। ट्रॉली को दूर तक लाने ले जाने के लिए एक खोखले पाइप की रॉड को खरीदना पड़ा। बस सब को जोड़-तोड़ के आधुनिक कठफौरी का मॉडल बनाया था।