औरैया। कहते है गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है। इसी अभिशाप का दंश झेलते झेलते एक युवक ने दम तोड़ दिया। बेटे का शव के पास बैठी बूढ़ी मां फुट फुट कर रोती रही। वह न तो बेटे को कांधा दे सकती है और न ही उसके पास बेटे का अंतिम संस्कार करने का सामर्थ्य। लोग राह से गुजरते रहे लेकिन किसी ने ध्यान नही दिया।काफी देर बाद कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी तो पुलिस आई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अंतिम संस्कार के लिए एक एनजीओ को सूचना दी। एनजीओ के संचालक ने आकर शेरगढ़ घाट पर अंतिम संस्कार किया।
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कन्नौज के गांव गंगउआपुर निवासी शांति देवी अपने बेटे कम्पत सिंह के साथ कई सालों से भीख मांगकर गुजर बसर कर रही थी। शहर के जालौन चौराहा पर पुल के नीचे उसका ठिकाना सालों से था। अफसर और सरकार की योजनाओं की नजर पुल पर रह रहे इस परिवार पर पड़ी ही नहीं। बुधवार को युवक कम्पत सिंह की मौत हो गई और वह ऐसा ही पड़ा रहा। बूढ़ी मां शांति देवी ने देखा तो वज फफक कर रो पड़ी। रोने के अलावा वह कुछ न कर पा रही थी। लोग देखते हुए निकलते जा रहे थे। काफी देर बाद सूचना पर पुलिस आई और उसका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इसके साथ ही इटावा के एक एनजीओ रक्तदाता समूह को सूचना दी। सूचना पर समूह के शरद तिवारी ने आकर शेरगढ़ घाट पर अंतिम संस्कार किया।