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चम्बल में देश के सबसे ज्यादा मगरमच्छ और घड़ियाल मौजूद

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  • पर्यावरण प्रदूषण कम होने से जलीय जन्तुओ की प्रजनन दर भी बढ़ी

औरैया: ठेठ बीहड़ में दो प्रदेशों यूपी और मध्यप्रदेश तथा चार जिलों औरैया, जालौन, इटावा, भिंड की सीमा पर पचनद तीर्थस्थल है । यहाँ पाँच नदियों यमुना ,चम्बल,क्वारी, सिंध और पहुज नदियों का संगम होता है। अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव भीम ने यहाँ भगवान शिव का लिँग स्थापित कर पूजा अर्चना की थी।आज उस स्थान पर बड़ा शिव मंदिर देखा जा सकता है। बड़े दूर से आकर पचनद में लोग स्नान ध्यान कर पूजा अर्चना करते है । पचनद की एक नदी चम्बल जिसका पानी अन्य चारों नदियों से ज्यादा साफ और गहरा है । स्वच्छ पानी के चलते ही इस क्षेत्र में चम्बल नदी में भारी संख्या में मगरमच्छों और घड़ियालों ने अपना आशियाना बना लिया है।

इस नदी में भारी संख्या में घडियालों, मगरमच्छों,डॉल्फ़िनों को आसानी से देखा जा सकता है । इतना ही नहीं मगरमच्छ और घड़ियाल कभी 2 नदी से बाहर तलहटी में आ जाते है,अंडे भी बाहर ही करते है । जानकारों की माने तो पचनद से लेकर इटावा के चकरनगर तक चम्बल नदी में घड़ियाल और मगरमच्छ देश में सबसे ज्यादा यहीं पाये जाते है। अकेले इस क्षेत्र की चम्बल नदी में 300 से ज्यादा घड़ियाल और मगरमच्छ पाये जाते है । हाल ही में मादा घड़ियालों ने लगभग 240 घडियालों को जन्म दिया है।

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घड़ियालों और मगरमच्छों के डर से सामान्य लोग इस क्षेत्र में चम्बल के किनारे नहीं जाते है । मगरमच्छों और घडियालों का रैन बसेरा हमेशा स्वच्छ और गहरे पानी में ही होता है इसलिये इनके रहने और विचरने की सीमा पचनद के पहले ही समाप्त हो जाती है । क्योंकि चम्बल के अलावा अन्य चारों नदियां प्रदूषित है । पर्यावरणविद दीपक विश्नोई का कहना है कि पचनद क्षेत्र का बहुत ही धार्मिक महत्व है। महाभारत काल के अवशेष यहाँ मौजूद है, जरूरत है इस क्षेत्र के विकास करने की।

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उन्होंने कहा कि जलीय जंतुओं को बचाने और सुरक्षित करने के लिये चम्बल नदी में राजस्थान से और ज्यादा पानी छोड़ा जाए । तेजस टीम ने रिस्क लेकर मगरमच्छों और घड़ियालों के पास जाकर चम्बल घाटी में जीवंत रिपोर्टिंग की..

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