कानपुर । भारत में धर्म की शक्ल अख्तियार कर चुके क्रिकेट का नशा इन दिनो औद्योगिक नगरी कानपुर में सर चढ़ कर बोल रहा है और इनके बीच कुछ चेहरे ऐसे भी है जिन्हे टीम इंडिया की जीत से ज्यादा मैच के पांच दिन चलने को लेकर ज्यादा दिलचस्पी है।
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भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहले टेस्ट मैच में गुरूवार को अपने चहेते खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिये हजारों कदम ग्रीनपार्क स्टेडियम की ओर बढ़ते दिखायी दिये। हर क्रिकेट प्रेमी की दुआ है कि भारत की टीम इस श्रृखंला की शुरूआत जीत से करे। इस बीच मैदान के इर्द गिर्द डेरा जमाये एक तबका ऐसा भी था तो टीम इंडिया की जीत तो चाहता है मगर उसका रूझान मैच के पांच दिनो तक चलने की ओर ज्यादा दिखा।
मैदान के बाहर तड़के से ही कड़कड़ाती ठंड की परवाह किये बगैर पिछले तीन दिनो से डटे ये लोग रांची,पुणे और मुबंई जैसे महानगरों से चंद पैसे कमाने की गरज से आये हैं। टीम इंडिया की टी शर्ट, रिस्ट बैंड,झंडा,सीटी जैसी तमाम चीजों को बेचने आये इन छोटे कारोबारियों का कहना है कि वह भी भारत की जीत के ख्वाइशमंद है मगर मैच के पांचवे दिन। इसकी वजह है कि अगर मैच पूरे पांच दिन चलेगा तो उनके सामान की बिक्री भी अधिक होगी और मुनाफा भी ज्यादा होगा।
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स्टेडियम के बाहर सड़क के एक कोने में तिरंगा के साथ खड़े महाराष्ट्र के पुणे जिले के निवासी के एस भारती ने कहा “ आजकल साल में करीब आठ महीने देश में कहीं न कहीं मैच होते रहते हैं। वह और उन जैसे चंद अन्य व्यापारी हर आयोजन स्थल पर टीम से पहले पहुंच जाते है। मेरे पास 50 रूपये से लेकर 300 रूपये तक के झंडे हैं। मैच देखने जा रहे दर्शक इन झंडो को ज्यादा मोलभाव किये बगैर खरीद लेते हैं। इससे उन्हे हर रोज करीब एक हजार रूपये तक की कमाई हो जाती है। ”
रांची से आये मनोज भारती ने कहा “ मै पहले अपने गांव में छोटा मोटा व्यापार कर गुजर बसर करता था मगर मैने देखा कि क्रिकेट भारत मेें भगवान की तरह पूजा जाता है और इससे जुडी हर चीज को आसानी से बेचा जा सकता है। इस बारे में दोस्तों से सलाह मशवरा करने के बाद मै टी शर्ट,रिस्ट बैंड जैसी तमाम चीजे मुबंई और दिल्ली में स्थित बड़ी बाजारों से खरीद कर मैच के आयोजन स्थल के बाहर बेच देता हूं। वैसे तो इससे हुयी कमाई से पूरे साल का गुजारा आराम से हो जाता है मगर खाली समय में कुछ मजदूरी वगैरह कर लेता हूं। ”
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गुजरात के सूरत से आये विक्रेता मसूद ने कहा “ आईपीएल के बाद क्रिकेट से जुडी सामग्रियों की बिक्री में खासी बढोत्तरी हुयी है और मुनाफे के लिहाज से इस पेशे को अपनाने में कोई बुराई नहीं है। टीम से पहले हर आयोजन स्थल पर पहुंचना, इसके लिये ट्रेन का किराया,होटल में रहने खाने का खर्च हटाकर फिर भी 1000-1500 रूपये बच जाते हैं। एक दिवसीय और टी-20 मैचों में तो बिक्री कम समय में मगर कई गुना ज्यादा होती है और होटल में रूकने वगैरह का खर्च भी काफी कम हो जाता है। कुल मिला कर यह धंधा चोखा है।”