सरकार में कौन कौन शामिल होगा, कैसा होगा स्वरूप, यह तय नहीं
काबुल। तालिबान अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन की घोषणा शुक्रवार को कर सकता है । तालिबान सैन्य आयोग से जुड़े एक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्र ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि नई सरकार के गठन की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि उस सरकार में कौन कौन शामिल होगा और उसका क्या स्वरूप होगा।
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भारत ने तालिबान को अपनी चिंताओं से अवगत कराया
अफगानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे तालिबान के साथ भारत का पहला आधिकारिक संपर्क मंगलवार को कतर की राजधानी दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबानी प्रतिनिधि शेर मोहम्मद अब्बास स्तानेकजई के बीच हुई बैठक से हुआ। एक आधिकारिक बयान के अनुसार यह बैठक दोहा में भारतीय दूतावास में तालिबानी पक्ष के आग्रह पर हुई। बयान के अनुसार इस बैठक में श्री मित्तल ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयाें की सुरक्षा, भारतीयों की जल्द एवं सुरक्षित वापसी और अफगानी नागरिकों खास अल्पसंख्यकाें के भारत प्रवास को लेकर प्रमुखता से भारत का पक्ष रखा। श्री मित्तल ने स्तानेकजई से कहा कि उनके देश की चिंता है कि अफगानिस्तान की जमीन को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी हरकतों के लिए किसी भी रूप में नहीं होना चाहिए।
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तालिबानी प्रतिनिधि स्तानेकजई ने श्री मित्तल को आश्वस्त किया कि इन सभी मसलों पर सकारात्मकता के साथ ध्यान दिया जायेगा। दोहा में हुई यह बैठक अमेरिका के 20 वर्ष बाद अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं की वापसी के पश्चात तालिबानी सरकार के गठन के पहले हुई है।
दोहा में यह बैठक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक के एक दिन बाद हुई। परिषद की बैठक में अफगानिस्तान पर एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें कहा गया कि तालिबान को सुरक्षित भ्रमण सुनिश्चित करने और अफगानी जमीन को किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए किसी भी रूप में इस्तेेमाल न करने देने के अपने आश्वासन पर टिके रहना चाहिए।
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भारत यद्यपि पहले भी तालिबान के संपर्क में रहा है, उसने 12-13 अगस्त को दोहा वार्ता में शिरकत की थी लेकिन वह उस बातचीत में अंतरराष्ट्रीय वार्ता दल के एक सदस्य के रूप में शामिल हुआ था। मंगलवार की बैठक लेकिन दोनों पक्षाें के बीच ही हुई और इस बैठक में श्री मित्तल और स्तानेकजई ही शामिल हुए। इस बैठक में भारत ने सीधे तौर पर तालिबान को अपनी चिंताओं से अवगत कराया।
गौरतलब है कि स्तानेकजई का भारत से पुराना नजदीकी संपर्क रहा है। वह भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से 1980 में प्रशिक्षण ले चुके हैं। स्तानेकजई ने शनिवार को कहा था कि तालिबान भारत के साथ ‘ अच्छे संबंध’ बनाये रखना चाहता है।
काबुल में दूतावासों को फिर से खोलने की अपील
उधर तालिबान ने विदेशी राष्ट्रों से काबुल स्थित राजनयिक मिशनों को फिर से संचालित करने की अपील की है। अफगानिस्तान के टोलो न्यूज चैनल ने तालिबान के प्रवक्ता मौलवी दिलावर के हवाले से मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा, “हम काबुल में दूतावास रखने वाले देशों का स्वागत करते हैं और हम अपने दूतावासों को बंद करके जा चुके देशों से इसे फिर से खोलने का आग्रह करते हैं। उनके लिए यहां पर कोई खतरा नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद भारत और अमेरिका सहित कई देशों ने काबुल स्थित अपने दूतावासों को बंद कर दिया है।